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राजस्थान: Robert Vadra की मुश्किलें बरकरार, बीकानेर ज़मीन घोटाला मामले में आया नया मोड़

Robert Vadra Rajasthan Bikaner Land Deal News Latest Update राजस्थान: राबर्ट वाड्रा की मुश्किलें बरकरार, बीकानेर ज़मीन घोटाला मामले में आया नया मोड़

जयपुरAug 27, 2019 / 09:03 am

Nakul Devarshi

Robert Vadra Rajasthan Bikaner Land Deal News Latest Update
जयपुर।

देश भर में सुर्ख़ियों में आया राजस्थान के बीकानेर का ज़मीन घोटाले में अब एक नया मोड़ आ गया है। Robert Vadra से जुड़े बीकानेर फर्जी जमीन अलॉटमेंट ( Bikaner Land Deal Case ) मामले राजस्थान हाईकोर्ट ने दो आरोपियों को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं। गौरतलब है कि राबर्ट वाड्रा पर भी इसी जमीन में से जमीन खरीदने और उसे आगे बेचने पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप हैं। जस्टिस पंकज भंडारी ने यह आदेश फकीर मोहम्मद और रणजीत सिंह की जमानत याचिकाएं स्वीकार करते हुए दिए हैं।
याचिकाकर्ताओं की दलीलें
याचिकाकर्ताओं की ओर से कोर्ट को बताया गया कि इस मामले में पहले कई आरोपियों की जमानत हो चुकी है। पूरे मामले में उनकी छोटी से भूमिका है और उन्हें छह महीने से ज्यादा समय जेल में हो गया है। सरकार ने जमीन भी वापस ले ली है और मामले के निपटारे में समय लगेगा, इसलिए उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए।
ईडी ने जताया विरोध
ईडी ने विरोध में कहा कि पूरे मामले में इन दो आरोपियों की अकेले कोई भूमिका नहीं है, बल्कि दूसरे मामलों व आरोपियों से जुड़ी हुई है। पूर्व में जिन आरोपियों की जमानत हो चुकी है उनकी जमानत निरस्तगी के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई है और इन पर नोटिस भी हो चुके हैं। इसलिए दोनों आरोपियों को जमानत नहीं दी जाए।
ये हैं आरोप
नायब तहसीलदार फकीर मोहम्मद पर जमीन अलॉट करने और रणजीत सिंह पर पॉवर ऑफ अटार्नी के आधार पर फर्जी लोगों के नाम पट्टे बनवाने का आरोप है।

वाड्रा के खिलाफ सुनवाई 12 सितंबर को
इस मामले से जुडे राबर्ट वाड्रा व उनकी मां मौरीन वाड्रा की याचिकाओं पर हाईकोर्ट जोधपुर में 12 सितंबर को सुनवाई होनी है। वाड्रा व उनकी मां के खिलाफ ईडी ने मनी लॉनड्रिंग के आरोप में एफआईआर दर्ज की है। हाईकोर्ट से उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगी हुई है। ईडी ने नवंबर 2018 में राबर्ट और उनकी मां को सम्मन जारी किए थे। दोनों ईडी के सामने पेश नहीं हुए और हाईकोर्ट में चुनौती देकर सख्त कार्रवाई नहीं करने व गिरफ्तारी पर रोक लगाने की गुहार की थी। कोर्ट ने दोनों को ईडी के सामने पेश होने के निर्देश देते हुए उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। इसके बाद इस साल फरवरी में राबर्ट और उनकी मां जयपुर में ईडी के सामने पूछताछ के लिए पेश हुए थे।
ये है मामला…
सरकार ने महाजन फायरिंग रेंज के लिए बीकानेर के 34 गांवों की जमीन अवाप्त की थी। विस्थापितों को मुआवजे में बीकानेर में ही मिनिमम प्राइज पर जमीन अलॉट करने का फैसला हुआ। इसके लिए जमीन के बदले चाहने वालों को एप्लीकेशन में खसरा नंबर भरकर देने थे। चालान के जरिए पैसा जमा करवाने पर सरकार को उन्हें जमीन अलॉट करनी थी। तय प्रक्रिया के अनुसार अलॉटमेंट लैटर चार कॉपी में जारी होने थे। इनमें से एक कॉपी अलॉटमेंट लेने वाले को, एक कॉपी संबंधित तहसीलदार को, एक कॉपी एकाउंटस सैक्शन में और एक कॉपी रिकार्ड के लिए बनती हैं।
इसके बाद बाद जिसे जमीन अलॉट हुई है वह संबंधित तहसीलदार को अलॉटमेंट लैटर के साथ एप्लीकेशन व दूसरे दस्तावेज की ऑरिजनल कॉपी देता है। तहसीलदार इनकी जांच के बाद अलॉटमेंट लैटर में बताई गई जमीन अलॉटी के नाम ट्रांसफर करके रेवेन्यू रिकार्ड में जमीन उसके नाम दर्ज करता है।
ईडी का आरोप
ईडी का कहना है कि सरकारी जमीन हड़पने के लिए सरकारी कारिंदों ने कुछ लोगों के साथ मिलकर एक गैंग बनाई। इनमें पटवारी, गिरदावर और नायब तहसीलदार शामिल थे। भू-माफियाओं ने जमीन हड़पने के लिए कोलायत व गजनेर तहसील में खाली पड़ी सरकारी जमीन को चिन्हित किया और इनके खसरा नंबर प्राप्त कर लिए। इसके बाद पटवारियों, गिरदावर और नायब तहसीलदारों के साथ मिलकर भू-माफियाओं ने एेसे लोगों के नाम अलॉटमेंट लैटर तैयार किए जो न तो उन गांव के निवासी थे, जिनकी जमीन महाजन फायरिंग रेंज के लिए अवाप्त हुई थी। साथ ही इनके नाम विस्थापित होने वालों की सूची में थे। कुछ अलॉटमेंट तो एेसे लोगों के नाम बनाए गए जिनका कोई अस्तित्व ही नहीं था। कुल मिलाकर आरोपियों ने करीब १४२२ बीघा जमीन के फर्जी अलॉटमेंट लैटर के जरिए हड़पी थी। १४२२ बीघा में से आरोपियों ने १३७२ बीघा जमीन आगे बेच दी थी।
ईडी के अनुसार जयप्रकाश, रणजीत सिंह, किशोर सिंह और गुगन ने पटवारियों गिरदावर व नायब तहसीलदार के साथ मिलकर यह फर्जी अलॉटमेंट संबंधी दस्तावेज बनाए और रेवेन्यू रिकॉर्ड में भी नाम दर्ज करवा दिए। बाद में इन्हीं अलॉटमेंट की जमीनें आगे वाड्रा की स्काईलाइट हॉस्पिटेलिटी सहित सात कंपनियों को बेची गईं थीं।
राबर्ट वाड्रा की दलीलें
वाड्रा के वकीलों ने कोर्ट को बताया था कि उनकी कंपनी न तो जमीन की पहली बार बेचने वाली है और न ही पहली बार खरीदने वाली। १८ एफआईआर में से किसी में भी उनका नाम नहीं है, क्योंकि वह एक सद्भावी खरीददार थे। उनका कहना है कि कंपनी की खरीदी गई ३१.६१ हेक्टयर जमीन में से बीकानेर के जगतसिंहपुर के नाथाराम को फरवरी 2007 में 12.65 और हरीराम को 18.16 हेक्टर जमीन अलॉट हुई थीं। 19 नवंबर, 2007 को नाथाराम ने अपनी जमीन राजेंद्र कुमार को बेच दी थी। इस जमीन का नामांतरकरण भी राजेंद्र कुमार के नाम हुआ था। हरीराम ने भी गजनेर की अपनी जमीन एक किशोर सिंह शेखावत को बेच दी थी।
वाड्रा की कंपनी ने खरीदी जमीन
वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटेलिटी ने अपने पॉवर ऑफ अटार्नी होल्डर महेश नागर के जरिए गजनेर में 31.61 हेक्टर जमीन राजेंद्र कुमार व किशोर सिंह शेखावत के पॉवर ऑफ अटार्नी होल्डर अशोक कुमार से खरीदी थी। इसी प्रकार कंपनी ने गोयलारी की 37.94 हेक्टर जमीन भी सतीश गोयल व अन्य से खरीदी थी।
कंपनी ने बेची जमीन
स्काईलाइट ने 23 दिंसबर, 2012 को गजनेर व गोयलारी की जमीन एलीगेनी फिनलीज प्राईवेट लिमिटेड को बेच दी। वाड्रा के अनुसार उनकी कंपनी गोयलारी की जमीन खरीदने वाली चौथी और गजनेर में तीसरी और सद्भावी खरीददार थी। कंपनी ने जमीन उस समय के टाइटल के अनुसार ही खरीदी और उसे आगे बेच दिया था।

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