ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि गणेशजी को सनातन धर्म में मुख्यतः बुद्धि और व्यापार के देवता माना गया है। इसलिए व्यापार में वृद्धि या बुद्धि तेज करने के लिए चतुर्थी पर व्रत रखकर गणेशजी की पूजा करना चाहिए. सकट चतुर्थी पर प्रायः महिलाएं व्रत रखती हैं। इस व्रत के प्रभाव से सुख-सौभाग्य-समृद्धि बढ़ती है और संतान की शिक्षा में आ रही रूकावटें भी खत्म होती हैं। गणेशजी के आशीर्वाद से व्यवसायिक तरक्की प्राप्त होती है। व्यापारियों को गणेशजी की पूजा सबसे ज्यादा फलदायी होती है।
सकट चौथ के दिन सुबह स्नान के पानी में तिल डालकर नहाना चाहिए। इस दिन गणेशजी की पूजा में भी तिल का प्रयोग किया जाता है। तिल चतुर्थी व्रत पर गणेशजी को तिल के लड्डूओं का ही भोग लगाया जाता है। यहां तक कि इस व्रत में फलाहार के रूप में भी तिल से बने खाद्य पदार्थाें का सेवन किया जाता है। इस दिन सुबह स्नान के बाद सूर्यदेव को जल अर्पित करें, इसके बाद गणेशजी का ध्यान करते हुए व्रत और पूजा का संकल्प लें। विधि विधान से गणेशजी की पूजा करें और गणेश अथर्वशीर्ष या संकट नाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करें।
ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर के अनुसार सकट चौथ पर भगवान गणेश की पूजा करने से कंुंडली में वुध का शुभ प्रभाव बढ़ता है। यदि कुंडली में बुध कमजोर हों, अस्त हों या नीच के होकर अशुभ परिणाम दे रहे हों तो चतुर्थी व्रत रखकर गणेशजी की पूजा करने से बुध धीरे-धीरे शुभ प्रभाव देने लगते हैं। चतुर्थी व्रत से राहु और केतु का अशुभ प्रभाव भी कम होता है। खास बात यह है कि खुद गणेशजी ने माता पार्वती को इस व्रत की महत्ता बताई थी। इस संबंध में पद्म पुराण में भी उल्लेख किया गया है।