scriptशराब विनिर्माताओं पर शिकंजा, भारी मात्रा में जीएसटी वसूली की संभावना | Screws on liquor manufacturers, possibility of huge GST recovery | Patrika News

शराब विनिर्माताओं पर शिकंजा, भारी मात्रा में जीएसटी वसूली की संभावना

locationजयपुरPublished: Nov 10, 2020 01:05:26 am

Submitted by:

sanjay kaushik

राज्य राजस्व आसूचना निदेशालय ( SDRI ) ने हाल ही में जयपुर के वीकेआई ( VKI, Jaipur ) एवं बहरोड़ ( Behrore ) में स्थित राज्य के प्रमुख शराब विनिर्माताओं ( Liquor Manufacturers ) के खिलाफ जांच कार्रवाई ( Investigation ) शुरू ( Start) की है, जिसमें बड़ी मात्रा में जीएसटी ( Huge GST ) वसूली ( Recovery ) की संभावना ( Expected ) है। ( Jaipur News )

शराब विनिर्माताओं पर शिकंजा, भारी मात्रा में जीएसटी वसूली की संभावना

शराब विनिर्माताओं पर शिकंजा, भारी मात्रा में जीएसटी वसूली की संभावना

-राज्य राजस्व आसूचना निदेशालय (एसडीआरआई) की कार्रवाई

-जयपुर के वीकेआई व बहरोड़ में शराब विनिर्माताओं के खिलाफ जांच शुरू

जयपुर। राज्य राजस्व आसूचना निदेशालय (एसडीआरआई) ( SDRI ) ने हाल ही में जयपुर के वीकेआई ( VKI, Jaipur ) एवं बहरोड़ ( Behrore ) में स्थित राज्य के प्रमुख शराब विनिर्माताओं ( Liquor Manufacturers ) के खिलाफ जांच कार्रवाई ( Investigation ) शुरू ( Start) की है, जिसमें बड़ी मात्रा में जीएसटी ( Huge GST ) वसूली ( Recovery ) की संभावना ( Expected ) है। ( Jaipur News ) एसडीआरआई को इस संबंध मे जानकारी प्राप्त हुई थी कि राज्य के शराब विनिर्माताओं की ओर से शराब के निर्माण में काम आने वाले रा-मैटेरियल पर भी वैट के अंतर्गत 5.5 प्रतिशत की दर से कर वसूल किया जा रहा था। जबकि अंतिम उत्पाद के रूप में केवल निर्मित शराब को वैट के दायरे में रखा गया है। शराब विनिर्माण का प्रमुख रा-मैटेरियल ईएनए है । ईएनए में लगभग 95 प्रतिशत की परिशुद्धता होती है, जिसे सीधे तौर पर शराब के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
-राज्य में 1 जुलाई, 2017 से जीएसटी कानून लागू

उल्लेखनीय है कि राज्य में 01 जुलाई, 2017 से जीएसटी कानून लागू किया गया है। जीएसटी एक्ट की धारा 9(1) के तहत मानव उपयोग में आने वाली शराब को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है। इसके अतिरिक्त पेट्रोल, डीजल, एवीयेशन टर्बाइन आदि को भी जीएसटी के दायरे बाहर रखा गया है। एसडीआरआई ने अपनी जांच मे पाया कि ईएनए का उपयोग शराब, फार्मा कंपनियों एवं सौंदर्य प्रसाधन बनाने वाली कंपनियों की ओर से काम में लिया जाता है। इस समस्त खरीद-बिक्री पर वैट 5.5 प्रतिशत की दर से वैट वसूल किया जाना पाया गया, जबकि राज्य में जीएसटी लागू होने के पश्चात अंतिम उत्पाद के रूप में केवल शराब को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है।
-18 फीसदी बनता जीएसटी दायित्व

ईएनए को जीएसटी के दायरे से बाहर नही रखा गया तथा ईएनए जिस पर एचएसएन कोड 2207 की अनुसूची तीन की क्रम संख्या 25 के तहत 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी का दायित्व बनता है। स्पष्ट प्रावधान के बावजूद इन शराब विनिर्माताओं की ओर से शराब विनिर्माण के लिए की गई बिक्री एवं औद्योगिक बिक्री पर 18 प्रतिशत जीएसटी के स्थान पर वैट 5.5 प्रतिशत की दर से वैट वसूल किया गया है, जबकि इस पर जीएसटी की दर 18 प्रतिशत से कर वसूल किया जाना चाहिए था, जिससे राज्य सरकार को 12.5 प्रतिशत की दर से कम राजस्व प्राप्त हुआ।
-500 करोड़ की राशि पर अंतर कर वसूलने की तैयारी

आरंभिक जानकारी के अनुसार लगभग 500 करोड़ की राशि पर एसडीआरआई अंतर कर वसूलने के लिए वाणिज्यिक कर विभाग को अनुशंसा भेजने की तैयारी कर रहा है। इसके अलावा एसडीआरआई की ओर से राज्य के अन्य शराब निर्माताओं से भी इस संबंध में भी दस्तावेज एकत्र किए जा रहे है। जिसके पश्चात दस्तावेज की जांच के उपरांत करारोपण की कार्रवाई की जाएगी।

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