गंभीर बात यह है कि प्रतिभूति राशि की गणना दो माह की बिलिंग के आधार पर की गई है, जबकि जयपुर डिस्कॉम के 12 जिलों और जोधपुर व अजमेर डिस्कॉम के कुछ सर्किल में हर माह बिल जारी किए जा रहे हैं। ऐसे में एक माह की बिल राशि के आधार पर ही गणना होती तो सिक्यूरिटी राशि आधी हो जाती। खुद को सही साबित करने के लिए डिस्कॉम्स, राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग की ओर से जारी रेगुलेशन की आड़ ले रहे हैं।
हर माह बिलिंग… दोगुनी सिक्यूरिटी
हकीकत जब नियम प्रभावी हुए तब बिलिंग प्रक्रिया दो माह में हो रही थी। यानी, उपभोक्ता को दो माह में विद्युत उपभोग के आधार पर बिल दिया जाता रहा। लेकिन अब स्पॉट बिलिंग शुरू हो चुकी है, जिसमें हर माह बिलिंग हो रही है। इसके बाद भी डिस्कॉम दो माह के बिजली बिल के आधार पर प्रतिभूति राशि ले रहा है।
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नियम विद्युत सप्लाई नियम और शर्त, 2020 प्रभावी है। इसके तहत 12 माह के विद्युत उपभोग के आधार पर औसत उपभोग की गणना करते हैं और दो माह के बिजली बिल के बराबर सिक्यूरिटी राशि लेते हैं। इसमें विद्युत खर्च और स्थायी शुल्क को जोड़ा जाता है। यदि वोल्टेज रिबेट है तो उसे घटाते हैं। इस आधार पर प्रतिभूति राशि की गणना की जाती है।
यूं समझें प्रतिभूति राशि का गणित
डिस्कॉम हर उपभोक्ता से एडवांस राशि लेता है, जो प्रतिभूति राशि के रूप में होती है। इसके पीछे तर्क है कि यदि उपभोक्ता बिल जमा नहीं कराता है तो इस प्रतिभूति राशि में से बिल जमा कर लिया जाए। मान लें कि किसी के घर का दो माह का औसत बिल 6 हजार रुपए आ रहा है तो डिस्कॉम उपभोक्ता से अतिरिक्त 6 हजार रुपए प्रतिभूति राशि के रूप में अपने पास जमा रखेगा।
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डिस्कॉम चाहे तो मिल सकती है राहत
डिस्कॉम चाहे तो राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग में संशोधन के लिए पीटिशन दाखिल कर सकता है। हर माह बिलिंग होने पर प्रतिभूति राशि भी एक माह की ही लेने का तर्क दे सकता है। इस आधार पर उपभोक्ता को राहत मिल सकती है।
बड़ा सवाल
चिह्नित उपभोक्ताओं को दे रहे प्रतिमाह बिल…तो फिर प्रतिभूति राशि की गणना 2 माह के आधार पर क्यों?