अभी 5 लाख रुपए प्रति मेगावाट तक शुल्क
यहां सौर ऊर्जा प्लांट लगाने वाली कंपनी यदि पूरी बिजली दूसरे राज्य में सप्लाई करती है तो उससे राजस्थान रिन्यूएबल एनर्जी डवलपमेंट फंड के रूप में शुल्क लिया जा रहा है। मार्च 2023 तक प्लांट लगाने वालों से 2 लाख प्रति मेगावाट (प्रति वर्ष) है। मार्च, 2024 तक 3 लाख रुपए, 2025 तक 4 लाख रुपए और मार्च 2026 तक प्लांट लगाने वालों से 5 लाख रुपए प्रति मेगावाट (प्रति वर्ष) लेने का प्रावधान है।
हम दे रहे 12 प्रतिशत बिजली, इसलिए यहां भी कवायद
-भाखडा नांगल, पोंग और देहर बांध पर हाइड्रो पावर (जलविद्युत) प्लांट बने हुए हैं। तीनों ही प्लांट से राजस्थान, पंजाब और हरियाणा का बिजली शेयर निर्धारित है।
-इनमें से दो का कैचमेंट एरिया हिमाचल प्रदेश में है। इसलिए हिमाचल प्रदेश सरकार कुल उत्पादित बिजली में से कुछ ‘शेयर’ लेती है। राजस्थान के हिस्से में जितनी बिजली आती है,उसमें से 12 प्रतिशत बिजली बतौर शेयर हिमाचल प्रदेश को दी जा रही है।
-राजस्थान की जमीन पर लगने वाले सौर ऊर्जा प्लांटों के लिए भी इसी तरह का मैकेनिज्म लागू करने की जरूरत जताई जा रही है।
इस चिंता का तोड़ जरूरी
-बिजली को संग्रहित नहीं किया जा सकता है, ऐसे में यदि एक साथ सौर ऊर्जा मिलती है तो उसका तत्काल उपयोग संभव नहीं है। ग्रिड को संभालना मुश्किल होगा। इसके लिए अलग से मैकेनिज्म तैयार करना आसान नहीं।
-बिजली में शेयर लेंगे तो राजस्थान रिन्यूएबल एनर्जी डवलपमेंट फंड छोड़ना होगा या बहुत कम करना होगा। इस पर भी अध्ययन किया जा रहा है कि कहीं नया प्रावधान जोड़ना घाटे का सौदा तो नहीं होगा।
-कंपनियों को नया प्रावधान रास नहीं आया तो यहां निवेश की रफ्तार पर विपरीत असर पड़ने की आशंका।