पायलट के प्रमुख रणनीतिकार के इस्तीफे ने एक बार फिर प्रदेश में किसी बड़े सियासी संकट के संकेत दिए हैं। पायलट कैंप के विधायक विश्ववेंद्र सिंह के पुत्र अनिरुद्ध सिंह के ट्वीट ने इसके संकेत दिए हैं। हेमाराम चौधरी बाड़मेर के गुडामालानी से कांग्रेस के विधायक हैं, हालांकि उन्होंने किस वजह से इस्तीफा दिया है यह तो साफ नहीं हो पाया लेकिन सूत्रों की माने तो अपने क्षेत्र में काम नहीं होने से नाराज होकर हेमाराम चौधरी पद से इस्तीफा दिया है।
उन्होंने अपने इस्तीफे का पत्र विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी को मेल के जरिए भेजा है। विधायक हेमाराम चौधरी के इस्तीफे के मामले में विधानसभा की तरफ से वक्तव्य जारी हुआ है जिसमें कहा गया है कि हेमाराम के इस्तीफे की कॉपी मेल के जरिए मिली है जिस पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। हेमा राम चौधरी के इस्तीफे को लेकर कांग्रेस में कयासों का दौर चल पड़ा है।
डोटासरा जुटे डैमेज कंट्रोल में
हेमाराम चौधरी के इस्तीफे की खबर के बाद प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा डैमेज कंट्रोल में जुट गए हैं। बताया जाता है कि इसे लेकर डोटासरा ने हेमाराम से फोन पर बात भी की है। डोटासरा ने ट्वीट करते हुए लिखा कि हेमाराम हमारी पार्टी के वरिष्ठ और सम्मानीय नेता हैं, उनके विधायक पद से इस्तीफ़े की जानकारी के बाद मेरी उनसे बात हुई है। यह पारिवारिक मामला है, जल्द ही मिल बैठकर सुलझा लिया जाएगा।
मारवाड़ का बड़ा जाट चेहरा हैं हेमाराम
वहीं हेमाराम चौधरी बाड़मेर के साथ ही मारवाड़ का बड़ा कांग्रेस चेहरा माना जाता है। उनके विधायक पद से इस्तीफा देने से मारवाड़ में कांग्रेस को जाट वर्ग की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है।
सियासी संकट में थे पायलट कैंप के साथ
बीते साल जब गहलोत-पायलट कैंप के बीच सियासी संकट आया था, तब विधायक हेमाराम पायलट कैंप के साथ मानेसर चले गए थे। सचिन पायलट को मुख्य़मंत्री बनाए जाने की मांग वे कई बार जोर शोर के साथ उठा चुके हैं।
मंत्री और नेता प्रतिपक्ष भी रहे है हेमाराम
हेमाराम चौधरी छठी बार विधायक रहे हैं। हेमाराम चौधरी 2008 से 2013 तक गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हैं तो वही 2005 से 2008 तक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे है।
मंत्री नहीं बनाए जाने भी नाराज हेमाराम
वहीं दूसरी ओर गहलोत मंत्रिमंडल में मंत्री नहीं बनाए जाने से भी हेमाराम चौधरी नाराज बताए जाते हैं। हेमाराम चौधरी कई बार विधानसभा और विधान सभा के बाहर भी गहलोत सरकार को कई बार अपने तीखे सवालों से घेर चुके हैं।