योग यानी की उससे जुडऩा, तो शिव योग का मायना है अपने भीतर के अनंत से जुडऩा और अंत में स्वयं ही अनंत हो जाना। उन्होंने कहा कि मनुष्य की असली पहचान न तो उसके शरीर है न उसके मन से।
मनुष्य का वास्तविक रूप है सत-चित आनंद, आत्मा जो की सुक्ष्म स्तर पर एक ज्योति स्वरपू निरंतर प्रज्वलित है। उन्होंने तनाव मुक्ति के उपाय बताए। गुरुवार को कार्यक्रम का समापन होगा, जिसमें ध्यान साधना के बारे में बताया जाएगा।
शिवयोग शिव साधना शिविर में साधकों को स्वच्छ आचरण, स्वच्छ खान-पान का ज्ञान और चेतना विकास से बुरी आदतों से छुटकारा पाने का दिया जाता है, जिससे उनका विकास हो सके।