14 जनवरी को मकर संक्रांति के साथ ही सूर्यदेव उत्तरायण हो गए और खरमास भी खत्म हो गया। खरमास के समापन के साथ ही करीब एक माह से बंद पड़े मांगलिक कार्यों की शुरुआत भी हो गई है। अब मूल्यवान वस्तुओं की खरीदी, वास्तु पूजा आदि मांगलिक कामों के साथ ही विवाह भी किए जा सकते हैं। शिलान्यास, नींव पूजन, गृह प्रवेश, वाहन खरीदना, नवीन व्यापार प्रारंभ करने जैसे काम भी किए जा सकेंगे।
हालांकि ऐसे सभी शुभ कार्य केवल कुछ दिन ही किए जा सकेंगे। ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर के मुताबिक 19 जनवरी को मांगलिक कार्यों पर दोबारा विराम लग जाएगा। इस दिन देव गुरु बृहस्पति अस्त हो जाएंगे, देवगुरु 16 फरवरी तक अस्त रहेंगे। इस अवधि में शुभ कार्य प्रारंभ करना वर्जित किया गया है। इस प्रकार करीब 28 दिनों तक विवाह सहित अन्य मांगलिक कामों पर प्रतिबंध लगा रहेगा।
ज्योतिषीय और धार्मिक ग्रंथों के अनुसार समस्त मांगलिक कार्यों के कारक ग्रह देवगुरू बृहस्पति ही हैं। उनके आशीर्वाद से ही मांगलिक कार्य शुभ और सफल होते हैं। आसमान में गुरू तारा अस्त हो जाने पर उनका शुभ प्रभाव प्राप्त नहीं होता जिससे मांगलिक काम सार्थक नहीं होते या इनका दुष्परिणाम मिलता है। यही कारण है कि इस अवधि में शुभ या मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं।