मरीज को पिछले दो साल से अपने देनिक दिनचर्या के कार्यों के दौरान चेस्ट में दर्द होता था। जिसे अनस्टेबल एंजाइना कहा जाता है। इस समस्या के साथ मरीज 15 सितंबर को एसएमएस में आया। जहां उन्हें भर्ती करने की सलाह दी गई। भर्ती होने के बाद में उनकी पूरी जांच में सामने आया कि ह्दय की धमनियों में तो रुकावट है, जिसे कोरोनरी ऑर्टरीज बोलते हैं। साथ ही साथ फेफड़े भी काफी कमजोर पाए गए। उसका कारण उनका लगातार कई वर्षों से तंबाकू का सेवन था। साथ में उनके गुर्दे भी कमजोर थे। उनके इलाज के लिए कोरोनरी बायपास सर्जरी ही विकल्प था।
उसके लिए उनकी 25 सितंबर को बायपास सर्जरी की गई। डॉ यादव ने बताया कि इस मामले में बायपास सर्जरी दो तरह से की जा सकती थी। एक तो हॉर्ट लंग बायपास मशीन के उपर लेकर, जिसे लंग्स एवं गुर्दे का बीमारी का खतरा और बढ़ जाता। इसलिए उनकी सर्जरी धड़कते दिल पर की गई। मरीज को एक दो दिन में अस्पताल से छुटटी दी जाएगी। ऑपरेशन टीम में डॉ यादव के साथ डॉ.रामस्वरूप सैन और डॉ डॉ तेजकरण सैनी भी शामिल थे। ऐनेस्थीसिया डॉ.रीमा मीणा और उनकी टीम ने किया।
सीना खोलने के बजाय पैर की नस से वॉल्व डाला वहीं दूसरी ओर सवाई मानसिंह अस्पताल के डॉक्टर्स ने में ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वॉल्व टावी तकनीक से फुलेरा निवासी 69 वर्षीय मरीज शिवकुमार के उपचार में इस तकनीक का उपयोग करते हुए वॉल्व इंप्लांट करने के लिए मरीज का सीना खोलने के बजाय पैर की नस से वॉल्व डाला गया।