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जयपुर

राज्य बीमा-प्रावधायी निधि विभाग का नवाचार, पेपरलेस बीमा और ऋण-जीपीएफ आहरण शुरू

कोरोना वैश्विक महामारी के संकट के समय जबकि सामाजिक दूरी एवं मास्क के साथ-साथ प्रौद्योगिकी के उचित महत्वपूर्ण उपयोग द्वारा जहाँ एक ओर राज्यकर्मियों को यह सुविधा मिलेगी कि उन्हें बीमा कार्यालय नहीं जाना पडेगा, वहीं दूसरी ओर पेपर की बचत के साथ पर्यावरण भी स्वच्छ एवं संरक्षित रहेगा।

जयपुरOct 20, 2020 / 05:25 pm

Nakul Devarshi

State Insurance-Provident Fund Department innovation, paperless work
कोरोना संक्रमण से जहां एक ओर लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा है तो वहीं प्रदेश की अर्थव्यवस्था भी पटरी से उतर गई। इन दोनों ही स्थितियों को नियंत्रित करने के लिए सरकारी स्तर पर कई कदम उठाये गए हैं। इसी कड़ी में राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग ने भी नवाचार की राह पकड़ी है। प्रदेश के 7 लाख से भी ज़्यादा सरकारी कर्मचारियों के लिये सामाजिक सुरक्षा मुहैया कराने वाले इस विभाग में अब राज्य बीमा ऋण व जीपीएफ आहरण की सेवाएं भी पेपरलैस कर दी गई हैं।
विभाग के निदेशक, आनन्द स्वरूप (आईआरएस) ने बताया कि कोरोना वैश्विक महामारी के संकट के समय जबकि सामाजिक दूरी एवं मास्क के साथ-साथ प्रौद्योगिकी के उचित महत्वपूर्ण उपयोग द्वारा जहाँ एक ओर राज्यकर्मियों को यह सुविधा मिलेगी कि उन्हें बीमा कार्यालय नहीं जाना पडेगा, वहीं दूसरी ओर पेपर की बचत के साथ पर्यावरण भी स्वच्छ एवं संरक्षित रहेगा।
उन्होंने बताया कि विभाग में प्रतिवर्ष लगभग 1.89 लाख प्रा.निधि / जीपीएफ आहरण एवं 1 लाख राज्य बीमा ऋण आवेदन प्राप्त होते हैं। प्रत्येक आवेदन के साथ लगभग 5-6 प्रपत्र एवं जीपीएफ / बीमा पासबुक / रिकार्ड बुक संलग्न की जाती है। इस प्रक्रिया से लगभग 40 लाख पेपर की बचत होगी।
विभाग द्वारा वर्ष 2018 से फ्लोट के माध्यम से पे-मैनेजर पर बिल तैयार कर दावा राशि सीधे ही कार्मिकों के बैंक खाते में ट्रांसफर की जा रही है। पूर्व में आवेदक को ऑनलाईन आवेदन के साथ हार्ड कॉपी में आवेदन करना होता था, लेकिन अब पेपरलैस प्रक्रिया में हार्ड कॉपी के स्थान पर स्केण्ड डॉक्यूमेंन्ट्स के साथ पूरी प्रक्रिया ऑनलाईन ही रहेगी। ये व्यवस्था 45 दिवस के लिए पायलट बेसिस पर विभाग के जिला कार्यालय सचिवालय में प्रारम्भ होगी।
विभाग के निदेशक, आनन्द स्वरूप (आईआरएस) ने बताया कि राज्य बीमा विभाग में कम्प्यूटराईजेशन वर्ष 2009-10 में प्रारंभ हो चुका था, जब लगभग 6.50 लाख एस्प्लॉई आईडी एसआईपीएफ पोर्टल पर सृजित की जा चुकी थीं। वर्तमान में विभाग द्वारा ऑनलाईन क्रिया-कलापों की कड़ी में एक और कडी, पेपरलैस राज्य बीमा ऋण व जीपीएफ आहरण, जुड गई।

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