– अधिकांश कक्षाओं में न तो शिक्षक मिले, न विद्यार्थी। कहीं विद्यार्थी कक्षा के बाहर मस्ती करते, कहीं शिक्षक धूप में आराम करते मिले।
– विद्यार्थी देश-समाज की नींव हैं, शिक्षक इन विद्यार्थियों के रूप में देश का भविष्य गढ़ते हैं। राजस्थान विवि राज्य का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय है, जिससे सम्बद्ध कॉलेजों में प्रवेश के लिए लम्बी कतारें लगती हैं। अंक 90-95 प्रतिशत से कम हों तो प्रवेश नहीं मिलता। फिर भी इन कॉलेजों में नियमित कक्षाएं नहीं लगतीं।
परिसर में एक महिला शिक्षक उत्तरपुस्तिकाएं जांच रही थीं। भूतल पर कक्षाओं की तरफ अंधेरा था। पहली मंजिल की कक्षाओं में कोई नहीं था। वहां घुप्प अंधेरा था। कई कक्षाओं पर तो ताले लगे हुए थे। कम्प्यूटर लैब के बाहर मिले 2 छात्रों में से नवरतन जाट बताया, मैं बी-कॉम प्रथम वर्ष में हंू। क्लास के लिए घर से आया हंू। यह क्लास का ही समय है लेकिन यहां कोई नहीं है। कक्षा में 60 छात्र हैं लेकिन अभी न कोई सहपाठी है, न टीचर। सत्र शुरू होने के बाद दो-ढाई महीने ही पढ़ाई हुई, उसके बाद से कक्षाओं का यही हाल है।
दूसरे छात्र श्यामसुंदर जोशी ने बताया, मैं इवनिंग कक्षा का छात्र हंू, क्लास न तो सुबह लगती है, न शाम को। कई बार टीचर्स को बुलाया मगर विद्यार्थी ही नहीं आते तो टीचर भी नहीं आते। हालांकि कुछ टीचर ऐसे हैं जो एक छात्र भी आए तो पढ़ाते हैं। पत्रिका टीम आगे बढ़ी तो कॉलेज का स्टाफ रूम भी खाली था। पीछे लॉन में 4-5 शिक्षक धूप में बैठे बतिया रहे थे। दस-पन्द्रह छात्र कॉलेज के गेट पर खड़े मिले। पूरे परिसर में 25 से अधिक छात्र नहीं थे। वहां एक छात्र ने बताया, मैं सीए की भी पढ़ाई कर रहा हंू इसलिए यहां क्लास के लिए कम आता हंू।
प्रवेशद्वार के पास 4 छात्र बैठकर बतिया रहे थे। प्राचार्य कमरे में नहीं थे। कम्प्यूटर लैब पर ताला लगा था। चित्रकला की कक्षा में 2 छात्र चित्र उकेर रहे थे। बोले, टीचर कभी-कभार आते हैं। आते हैं तो फोन कर बता देते हैं। मनोविज्ञान की कक्षा में 20-25 छात्र 15 मिनट से टीचर का इंतजार कर रहे थे। थोड़ी देर बाद टीचर पढ़ाने पहुंचीं। अन्य कक्षाओं पर ताले लटके हुए थे। ऐसे में कई छात्र कक्षाओं के आगे गार्डन में कुर्सियों पर धूप में बैठे थे। इस बीच अकेले छात्र को पढ़ा रहे दर्शनशास्त्र के टीचर डॉ. मनीष का कहना था, कक्षाओं में छात्रों की घटती संख्या अच्छा संकेत नहीं है। उधर, कॉलेज में एनएसएस शिविर के चौथ दिन के तहत यातायात नियमों पर आयोजित कार्यक्रम में 300 से अधिक छात्रों की मौजूदगी नजर आई।
मैदान में स्टूडेंट्स कबड्डी खेल रहे थे। बोले, छात्रसंघ अध्यक्ष स्पोट्र्स की एक्टिविटीज करा रहे हैं। भीतर कमरा नंबर 1 में भौतिक विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. संजय कुमार स्टूडेंट्स का इंतजार कर रहे थे। उन्होंने बताया, कोर्स पूरा हो चुका है। स्टूडेंट्स का इंतजार कर रहा हूं ताकि किसी को कोई समस्या हो तो सॉल्व करा सकें। कक्ष-4 में प्रो. संजीव सक्सेना भी छात्रों का इंतजार करते मिले। बोले, स्टूडेंट्स आएं या न आएं, पूरे समय बैठंूगा। हालांकि आज स्पोट्र्स मीट के कारण स्टूडेंट्स नहीं आए। कॉलेज के प्रथम तल पर टीचर्स बाहर खड़े बतिया रहे थे। कमरा नंबर 6 में अकेले बैठे प्रथम वर्ष के छात्र रोहित यादव ने बताया, सप्ताह भर पहले कोर्स पूरा हो चुका है, प्रैक्टिकल भी हो गए हैं। अटेंडेंस पूरी नहीं थी इसलिए कॉलेज आया हूं। कमरा नंबर 10 के बाहर धूप में बैठकर पढ़ रहे प्रथम वर्ष के छात्र पवन कुमार योगी बताया, ऑर्गेनिक कैमिस्ट्री का कोर्स बचा है। एक बजे से प्रैक्टिकल की क्लास है इसलिए यहां पढ़ रहा हूं। कक्ष-8 में प्रैक्टिकल वर्क कर रहे राजेन्द्र, नरेश, संतोष ने बताया, फाइल जमा कराने आए हैं। कोर्स पूरा हो चुका है इसलिए घर पर पढ़ते हैं। समस्या हो तो कॉलेज में आकर पूछ लेते हैं।