दरअसल, संस्कृत शिक्षा विभाग में पद विरुद्ध लगे एवं अधिशेष शिक्षकों को अस्थाई तौर पर स्थानांतरित कर दिया गया था। इन शिक्षकों को निदेशालय संस्कृत शिक्षा ने फरवरी में आदेश निकालकर दूरस्थ सीमांत जिलों के स्कूलों में लगा दिया था। यह स्थानांतरण अस्थाई तौर पर किया गया था। अब ये शिक्षक फिर से गृह जिलों में आने की मांग कर रहे हैं। क्योंकि अब विभाग में द्वितीय ग्रेड के सभी विषयों की नई नियुक्तियां होनी है और थर्ड ग्रेड से द्वितीय ग्रेड में गणित और विज्ञान के पदों पर डीपीसी हो चुकी है। डीपीसी वाले शिक्षकों को पदस्थापन दिए जाने हैं।
शिक्षामंत्री से की गई मांग
ऐसे में शिक्षक संघ सियाराम ने संस्कृत शिक्षा मंत्री एवं निदेशक संस्कृत शिक्षा से अस्थाई तौर पर स्थानांतरित किए गए शिक्षकों को फिर से गृह जिलों में लगाने की मांग की है। इस बारे में पत्र लिखा गया है। संगठन के प्रवक्ता जगेश्वर शर्मा का कहना है कि नव नियुक्ति एवं पदोन्नति पर पदस्थापन से पहले उन शिक्षकों को वापस गृह जिलों में लगाया जाए, जिन्हें विभाग ने अन्य जिलों में अस्थाई रूप से लगाया था। ऐसे शिक्षकों को गृह जिले या नजदीकी जिलों में निकटस्थ खाली पदों पर लगाया जाए।
इसलिए ओर बढ़ी मुश्किलें
संघ ने मांग की है कि विभाग या इनका स्थानांतरण करे या फिर इन्हें समायोजित करे। इस प्रक्रिया को पूरी करने के बाद ही नवनियुक्त और पदोन्नति वाले शिक्षकों को पदस्थापन दिया जाए। दूरस्थ जिलों में लगाए गए शिक्षकों की मुश्किलें इसलिए भी बढ़ी हुई हैं कि अगर विभाग ने डीपीसी से पदोन्नत और नवनियुक्त शिक्षकों को पहले पदस्थापन दे दिया तो उनका फिर से नजदीकी या गृह जिलों में आने का इंतजार ओर लंबा हो सकता है।