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जयपुर

जयपुर में फिर से गरजेगा पीला पंजा, परकोटे में शुरू होगा ऑपरेशन पिंक जैसा अभियान

हाईकोर्ट ने अवैध निर्माण चिन्हित करने और स्वायत्त शासन सचिव स्तर के अधिकारी की देखरेख में कार्रवाई करने को कहा

जयपुरMay 18, 2019 / 07:01 pm

pushpendra shekhawat

शैलेन्द्र अग्रवाल / जयपुर। राजधानी स्थित चारदीवारी क्षेत्र में बाजारों के बरामदों की तरह अब आवासीय क्षेत्र में हेरिटेज से अवैध निर्माण हटाने के लिए अभियान चलेगा। हाईकोर्ट ने जयपुर नगर निगम से चारदीवारी के अवैध निर्माणों की सूची तैयार करने और पहले चरण में हेरिटेज से ऐसे निर्माण हटाने का समयबद्ध प्लान पेश करने को कहा है। इस कार्य की जिम्मेदारी स्वायत्त शासन सचिव या उससे अधिक रैंक के अधिकारी के पास होगी और वे ही शपथ पत्र पर कोर्ट में रिपोर्ट पेश करेंगे। अब मामले की सुनवाई 30 मई को होगी।
जयपुर स्थित चारदीवारी क्षेत्र में अवैध निर्माण के बारे में स्वप्रेरणा से दर्ज याचिका पर मुख्य न्यायाधीश एस रविन्द्र भट्ट व न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खण्डपीठ ने हाल ही यह आदेश दिया। जयपुर नगर निगम शपथ पत्र के जरिए कोर्ट को बता चुका था कि 2008 से 2019 के बीच चारदीवारी क्षेत्र में किसी व्यावसायिक निर्माण की अनुमति नहीं दी गई। इसके अलावा कोर्ट में यह भी सामने आ चुका है कि जयपुर स्थित चारदीवारी क्षेत्र के लिए स्वायत्त शासन विभाग तीन अधिसूचनाएं जारी कर चुका है, जिनमें शहर के मूल स्वरूप से छेडछाड़ रोकने व आवासीय भवनों को व्यावसायिक में बदलने से रोकने को कहा गया है। न्यायमित्र अधिवक्ता शोभित तिवाड़ी ने कोर्ट को बताया कि शहर की किसी भी गली में चले जाएं, हर जगह व्यावसायिक निर्माण हो रहे हैं।
कोर्ट ने जयपुर नगर निगम को निर्देश दिया है कि जयपुर में अवैध निर्माणों का पता लगाने के लिए छह सप्ताह में सर्वे कराया जाए, जिसके आधार पर इस क्षेत्र के सभी अवैध निर्माणों की सूची तैयार की जाए। पहले चारदीवारी क्षेत्र में सर्वे कराया जाए। इन अवैध निर्माणों को तीन भागों में बांटा जाए। पहले चरण में हेरिटेज पर हुए अवैध निर्माण हटाने का प्लान बनाया जाए, दूसरे और तीसरे चरण में कम हेरिटेज वाले अवैध निर्माण शामिल किए जाएं। हर चरण के लिए अवैध निर्माण हटाने की टाइमलाइन सहित प्लान प्रस्तावित किया जाए। नगर निगम शपथ पत्र में यह भी बताए कि कार्य किसकी देखरेख में पूरा होगा, देखरेख का जिम्मा संभालने वाला अधिकारी स्वायत्त शासन सचिव से नीचे की रैंक का नहीं हो। यह अधिकारी कार्रवाई के बारे में शपथ पत्र के तौर पर सीधे कोर्ट को रिपोर्ट पेश करे।
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