बचपन में गणित की माथापच्ची और विज्ञान की उलझन से दो चार होने वाला एक मामूली शख्स आज खुद ऐसा शिक्षक बन गया हैं जिसका जिक्र करते हुए देश के प्रधानमंत्री भी गर्व महसूस करते हैं।
हम बात कर रहे हैं अवलर (राजस्थान) के शिक्षक इमरान खान की। अपने विद्यार्थी जीवन में इमरान को शिक्षा के उचित अवसर नहीं मिले और वे अपनी वैज्ञानिक बनने की ख्वाहिश पूरी नहीं कर सके, लेकिन विपरीत परिस्थितियों में भी उन्होंने हार नहीं मानी और जो अवसर मिले उनमें ही देश और समाजहित में अपना बेहतर से बेहतर योगदान जारी रखा।
आज सरकारी स्कूल में बतौर शिक्षक होते हुए इमरान 50 से अधिक एजुकेशन एप बना चुके हैं जो विज्ञान और गणित ही नहीं सामान्य ज्ञान और हिंदी जैसे विषयों में देश-दुनिया के स्टूडेंट्स को बेहतरीन प्लेटफार्म उपलब्ध करा रहे हैं।
लंदन के वेम्बले स्टेडियम में प्रधानमंत्री ने अपने उद्बोधन में किया शामिल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लंदन के वेम्बले स्टेडियम में भारतीय अप्रवासियों के समक्ष अपने ऐतिहासिक संबोधन में अवलर के इमरान खान के नाम को शामिल किया। उन्होंने कहा कि न्यूजपेपर की हेडलाइन्स के पीछे और टीवी पर दिखने वाले ही भारत नहीं है। उन्होंने इमरान का उदाहरण दिया और कहा कि इमरान ने 50 मोबाइल एप बनाए हैं और ये सभी स्टूडेंट्स के लिए फ्री रखे हैं।
विज्ञान भवन में स्मृति ईरानी ने कराया था रूबरूइमरान खान अलवर के संस्कृत स्कूल के शिक्षक के साथ अलवर की प्रोजेक्ट एकता टीम के सदस्य भी है। यह टीम हाल ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित आईटी के राष्ट्रीय सम्मेलन में सुर्खियों में आई।
इस सम्मेलन में इमरान के बनाए 52 एप्स राष्ट्र को समर्पित किए गए। खुद मानव संसाधन मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी ने उनकी प्रशंसा की और उन्हों सभागार में इमरान को खड़ा कर सभी से रूबरू कराया और बधाई दी। उन्होंने कहा कि शिक्षक इमरान द्वारा बनाए गए एप्स देश के बच्चों के भविष्य संवारने में मददगार साबित होंगे।
कलेक्टर ने तलब किया तो डर गए थे इमरानइमरान ने एप बनाने से पहले एक वेबसाइट के जरिए स्टूडेंट्स की मदद के लिए काम शुरू किया। वेबसाइट जीके टोंक पर उन्होंने सामान्य ज्ञान के साथ विज्ञान और गणित जैसे विषय ऑनलाइन किए। इस दौरान तत्कालीन जिला कलेक्टर आशुतोष एटी पेंडणेकर ने उन्हें तलब किया।
कलेक्टर की बुलावे पर पहले तो इमरान घबरा गए थे कि किसी ने उनकी वेबसाइट की शिकायत की है लेकिन ऐसा नहीं था। उन्होंने उनकी काम की तारीफ की। उल्लेखनीय है कि इमरान 1999 में सरकारी सेवा में चयनित हुए। पहली बार उन्होंने कोटा में सेवाएं देनी शुरू की। चार साल के बाद इमरान का ट्रांसफर जाटों का बास खारेड़ा स्कूल (अलवर) में हुआ।
इमरान के टॉप-7 एप- जनरल साइंस इन हिंदी
- हिस्ट्री जीके इन हिंदी
- एसएसी एग्जाम
- आरएएस ट्यूटर
- डेली जनरल नॉलेज
- इंडियन एंड पॉलिटिकल जीके
- एनसीईआरटी लर्न साइंस
अलवर के एक संस्कृत विद्यालय के शिक्षक इमरान खान ने शिक्षा के क्षेत्र में कई नवाचार किए हैं। उन्होंने टेबलेट पीसी में इंस्टाल किए जाने वाले कई शैक्षणिक एप्स का निर्माण किया।
कई एप्स को अभी तक लाखों विद्यार्थी एंड्रायड में इंस्टाल कर चुके हैं। इमरान ने अलवर जिले के 1300 प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों की सूचना के लिए एक पोर्टल भी बनाया है।
उल्लेखनीय है कि गत 7 नवम्बर को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से आयोजित स्कूलों में सूचना एवं प्रौद्योगिकी के राष्ट्रीय सम्मेलन में इमरान के बनाए एप्स को राष्ट्र को समर्पित किया गया। इस मौके पर इमरान के 52 शैक्षिक एप्स का लोकार्पण किया गया।
प्रधानमंत्री ने नाम लिया तो अच्छा लगाइमरान का कहना है कि शिक्षक की भूमिका ज्ञान बांटने की है, उसी में लगा हुआ हूं। शुक्रवार को प्रधानमन्त्री ने इतने बड़े मंच पर नाम लिया तो स्वाभाविक तौर पर अच्छा लगा। मेरा प्रयास छोटा है और प्रतिफल की चाह बिना मेहनत कर रहा हूं।
सरकार से इतना सा आग्रह है कि आगे सूचना तकनीक का युग है और इसका बेहतर इस्तेमाल शिक्षा में समावेशित किया जाए। यह कम लागत में ज्यादा सा ज्यादा को लाभ पहुंचाने वाला माध्यम है।
सोशल मीडिया का प्रचार खूब होता है, लेकिन मेरा मानना है कि विद्यार्थी को सही दिशा देने के लिए लर्निंग एप्स का सरकार प्रचार करे। उपयोग के लिए विद्यार्थियों को टेबलेट्स मिलें तो सार्थकता है।
ग्रामीण पृष्ठभूमि में जन्मे इमरान को प्रारंभ से ही विज्ञान और नई तकनीक के क्षेत्र में नया करने की चाह थी। विज्ञान की पृष्ठभूमि के नहीं होने के बावजूद तृतीय श्रेणी शिक्षक मोहम्मद इमरान ने टेबलेट पीसी में इंस्टाल किए जाने वाले शैक्षणिक एप्स को बनाया है, जिसे अब तक 13 लाख से अधिक विद्यार्थी इंस्टाल कर चुके हैं।
इसके अलावा इमरान ने बहुत से नवाचार कर वेबसाइट का निर्माण किया है, जिसे राज्य में ही नहीं देश भर में सराहा गया है। एक शिक्षक की ओर से इस तरह का नवाचार देश में अपनी तरह का नया प्रयोग है। इसकी इन उपलब्धियों के लिए इन्हें प्रशासन ने सम्मानित भी किया है।
लालटेन की रोशनी में बुने सपनेराजकीय प्राथमिक संस्कृत विद्यालय नजर बगीची में कार्यरत शिक्षक मोहम्मद इमरान मालाखेड़ा के समीपवर्ती ग्राम खारेड़ा के निवासी हैं। उन्होंने विज्ञान में 12वी कक्षा पास कर बीएसटीसी की। जब ये पढ़ते थे उस समय गांव में बिजली की व्यवस्था नहीं थी। लालटेन की रोशनी में पढ़ते रहे और हमेशा पढ़ाई में अव्वल रहते।
पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते बीएसटीसी कर तृतीय श्रेणी शिक्षक बन गए। इनका शिक्षक रहते हुए विज्ञान के प्रति रुझान कम नहीं हुआ। वह नित नए विज्ञाान मॉडल बनाते, जिन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार मिले। उन्होंने इंटरनेट तकनीक को समझा और वेबसाइट बनाई। इन्हें तत्कालीन जिला कलक्टर आशुतोष एटी पेंडणेकर ने एप्स बनाने के लिए प्रेरित किया।
इमरान ने टेबलेट पीसी में इंस्टाल किए जाने वाले शैक्षणिक एप्स का निर्माण किया है। इस एप्स को अभी तक 13 लाख से अधिक विद्यार्थी एंड्रायड में इंस्टाल कर चुके हैं, ज प्ले स्टोर पर उपलब्ध है। उन्होंने अलवर जिले के 1300 प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों की सूचना के लिए एक पोर्टल भी बनाया है।
आईएएस ट्रेनिंग सेंटर में दिखाई प्रतिभाआईएएस के प्रशिक्षण केंद्र मसूरी में 2011 में उन्होंने अपनी वेबसाइट को दिखाया। सर्व शिक्षा अभियान की उदयपुर में हुई राष्ट्रीय सेमिनार में शिक्षा में नवाचार बताए। वह एसआईआरटी उदयपुर में ई-केंटेट निर्माण करने वाली कोर टीम के सदस्य हैं।
उन्हें 2012 तथा 2014 में गणतंत्र दिवस पर योग्यता पुरस्कार से सम्मानित किया गया। प्रोजेक्ट एकला में सक्रिय सहयोग के लिए उन्हे जिला प्रशासन की ओर से प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानिनत किया जा चुका है।