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जयपुर

वादे नहीं, गारंटियों के लिए याद किया जाएगा ये चुनाव

विधानसभा चुनाव 2023 कई मायनों में प्रचार में नए प्रयोगों के लिए किया जाएगा याद

जयपुरNov 24, 2023 / 12:17 pm

Arvind Singh Shaktawat

वादे नहीं, गारंटियों के लिए याद किया जाएगा ये चुनाव

वादे नहीं, गारंटियों के लिए याद किया जाएगा ये चुनाव

राजस्थान में विधानसभा चुनाव प्रचार थम गया है और अब घर-घर जाकर जनसम्पर्क होगा। इस चुनाव को कई मायनों में कई सालों तक याद रखा जाएगा। राजनीतिक दल चुनावों में वादे करते आए हैं, लेकिन इस चुनाव में गारंटियों का बोलबाला रहा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हो या फिर प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत। दोनो ही नेताओं ने गारंटियों पर जोर दिया और उनके दलों के नेताओं ने वैसा ही अनुसरण किया। कांग्रेस सात गारंटीयों के प्रचार में लगी रही, जबकि पीएम मोदी ने भ्रष्टाचार, महिला अत्याचार को लेकर कहा कि ये मोदी की गारंटी है कि अब प्रदेश में ऐसा नहीं होगा।
चुनाव प्रचार में इस बार एक और महत्वपूर्ण बात जो देखने को मिली, वो ये कि जो कांग्रेस हमेशा केन्द्रीय नेतृत्व के सहारे चुनाव लड़ा करती थी। इस बार चुनावी नियंत्रण पूरी तरह से प्रदेश नेतृत्व के पास रहा, वहीं भाजपा जो प्रदेश नेतृत्व के सहारे चुनाव लड़ा करती थी। वह पूरी तरह से केन्द्रीय नेतृत्व पर निर्भर रही। प्रत्याशी चुनावों में कई बार अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए अभिनेता-अभिनेत्रियों को नहीं बुलाया।
भाजपा चुनाव प्रचार मैनेजमेंट की मास्टर मानी जाती है, लेकिन इस बार कांग्रेस ने भी पूरा जोर लगाया। उनके सारे बड़े नेताओं ने एक साथ प्रदेश में पड़ाव डाल प्रचार में ताकत झोंकी। — प्रचार के मामले में भाजपा ओर कांग्रेस दोनो ने एक दूसरे को जमकर टक्कर दी। दिवाली के बाद 9 दिन तक प्रचार चला और ऐसा कोई दिन नहीं था, जब दोनों दलों का केन्द्रीय नेतृत्व राजस्थान में ना रहा हो।
प्रत्याशियों ने कॉल सेंटर तक बनवाए

हमेशा प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस ने कॉल सेंटर बनाकर प्रदेश स्तर पर निगरानी का काम किया था, लेकिन इस बार कई प्रत्याशियों ने भी अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में कॉल सेंटर बनाए और मतदाताओं को फोन कर वोट मांगे। मतदाता से यह तक पूछा कि वो वोट देंगे या नहीं। यदि देंगे तो हां करें और नहीं देंगे तो ना करें।
सोशल मीडिया के लिए थर्ड पार्टी का इस्तेमाल
राजनीतिक दलों ने इस बार सोशल मीडिया पर थर्ड पार्टी वीडियो डलवाए। ये वीडियो ऐसे लोगों के सोशल मीडिया से पोस्ट करवाए गए जो किसी भी राजनीतिक दल से नहीं जुड़ा था। ऐसा कर राजनीतिक दलों ने यह बताने की कोशिश की कि ये हम नहीं जनता बोल रही है।

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