हुई समस्या तो आया स्कूटर-
वे बताती हैं कि उनके दो बेटी और दो बेटों का भरा पूरा १६ लोगों का परिवार है। पति गोविंद भारद्वाज शिक्षा विभाग से रिटायर्ड हुए हैं, जबकि परिवार में सभी सदस्य शिक्षक हैं। उनकी एक बेटी लंदन रहती हैं। करीब ९ साल पहले वे लंदन बेटी से मिलने गई थी, तभी ये स्लिप ***** की प्रॉब्लम शुरू हो गई। वहां दो बार प्लेन बदलना पड़ा तो एयरपोर्ट प्रशासन ने व्हील चेयर से मुझे प्लेन में पहुंचाया। लंदन में बेटी को समस्या बताई तो वहां हम मॉल में गए। वहां हमें यह स्कूटर दिखा। पूछताछ के दौरान पता लगा कि वहां बुजूर्ग यही स्कूटर यूज करते हैं। फैमेली कल्चर न होने के कारण सभी अकेले रहते हैं तो हर कार्य खुद करना पड़ता है। ५० हजार में यह स्कूटर खरीद लिया। तीन महीने तक यही स्कूटर वहां यूज करती, कभी अजीब नहीं लगा। देश वापस आई तो यहां के लोगों के लिए यह कौतूहल का विषय था।
मंदिर जाना हो या शॉपिंग सब इससे-
वे आगे बताती है कि जब स्कूटर चलाती तो लोग मुड़-मुड़ कर मुझे देखते और फोटो खिंचवाते। पिछले कई सालों से बाहर का प्रत्येक कार्य मैं इसी स्कूटर से कर रही हूं। मैं दूसरे पर निर्भर रहना नहीं चाहती। मंदिर जाने से लेकर, शॉपिंग, फल-सब्जी खरीदना, पार्टी में जाना अनेक कार्य इसी स्कूटर से करती हूं। स्कूटर को एक बार चार्ज करने पर करीब चार दिन तक चार्ज नहीं करना पड़ता। यह इतना भारी है कि अगर मैंने चाबी निकाल ली तो कोई इसे हिला तक नहीं सकता। १५० किलो के वजन तक लोग इस पर बैठ सकते हैं। मैं पुलिया पर भी आसानी से चढ़ जाती हूं वहां आसानी से ब्रेक भी लग जाते हैं। यह स्कूटर बिल्कुल मैटेंनेंस नहीं मांगता, बस मेरा सारा कार्य इसी से हो जाता है। सब इसे अम्मा का स्कूटर कह कर पुकारते हैं।