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जयपुर

नियमित पर स्पेशल का ठप्पा, राहत की जगह जेब पर आफत

कोरोना काल में यात्रियों को देना पड़ रहा ज्यादा किराया, बस नाम बदलकर ट्रेनों का संचालन कर रहा रेलवे

जयपुरOct 30, 2020 / 10:02 pm

Amit Pareek

जयपुर. अनलॉक के साथ-साथ सरकारें बंदिशें हटा लोगों को राहत दे रही है वहीं रेलवे इसके उलट चल रहा है। हर दिन कमाई के मौके खोज यात्रियों की जेब काटने की कवायद को हरी झंडी दिखाई जा रही है। कोरोना संकट से जूझ रहे लोगों के लिए त्योहारी सीजन में घर पहुंचना दिनोंदिन सुखद नहीं भारी होता जा रहा है। यात्रा भी महंगी होती जा रही है।
जानकारी के अनुसार रेलवे ने लॉकडाउन खुलने के बाद एक जून से ट्रेनों के संचालन को मंजूरी दी थी। उस समय रेलवे ने नियमित ट्रेनों को विशेष श्रेणी में बदल किराया बढ़ा दिया था। प्लेटफॉर्म टिकट बंद कर दिए। सामान्य श्रेणी में यात्रा पर रोक लगाई। साथ ही विशेष श्रेणियों को मिलने वाली रियायतों को बंद कर दिया। इसके बाद जैसे-जैसे बंदिशें हटने लगीं रेलवे ने नियमित ट्रेनों के ही नंबर में शून्य जोड़कर स्पेशल बनाया और संचालन शुरू कर दिया। ऐसी ही ट्रेनों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। जिन रेलवे ट्रैक पर ट्रैफिक सामान्य से भी कम लगा उसे बंद कर दिया लेकिन रेेल यात्रियों की बंद की गई सौगातों को लेकर अभी तक कोई कदम नहीं उठाया। उत्तर पश्चिम रेलवे में 60 जोड़ी से ज्यादा ट्रेनों का संचालन हो रहा है। उनमें ज्यादातर नियमित ट्रेनें ही हैं। इतना ही नहीं प्लेटफॉर्म टिकट पर भी रोक लगा रखी है, जिससे बुजुर्ग, महिला यात्रियों को आने-जाने में भी दिक्कत हो रही है।
यात्रियों ने उठाए सवाल
जानकारी के मुताबिक नियमित ट्रेनों के रैक पर ही स्पेशल, पूजा और त्योहार स्पेशल दौड़ रही हैं। नियमित ट्रेनें जहां रुकती या जो उनका टाइम टेबिल था, आज भी सब कुछ वही है, बस रेल किराए में वृद्धि हुई है। उधर, यात्रियों का कहना है कि जब रेलवे स्पेशल व पूजा स्पेशल ट्रेनों का परिचालन कर सकता है तो नियमित ट्रेनों का परिचालन क्यों नहीं कर सकता।
लंबी दूरी की ट्रेनों को महत्व
बताया जा रहा है कि रेलवे स्पेशल के नाम पर लंबी दूरी की ट्रेनों के परिचालन को महत्व दे रहा है। यही कारण कि अभी जयपुर से गुजरने वाली जोधपुर-इंदौर, लीलन एक्सप्रेस, अजमेर-आगरा, जयपुर-सीकर डेमू समेत कर्ई ट्रेनों को स्वीकृति नहीं मिली। इन दिनों त्योहार स्पेशल ट्रेनों में वेटिंग चल रही है। यात्रियों को अधिक किराया देने के बाद भी सीट के लिए जूझना पड़ रहा है।
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