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जयपुर

ऊपर खड़ा अजय ही चिल्ला रहा था तो सीवर चैम्बर में उतरे दोनों की हालत क्या हुई होगी

सीवर के गड्ढे में उतरने के दौरान बढ़ता जा रहा मौत का आंकड़ा , नगर निगम आगे बढ़ा लेकिन अत्याधुनिक उपकरण अब भी नाकाफी .

जयपुरFeb 18, 2018 / 03:32 pm

santosh

DIE in sewer line

DIE in sewer line

जयपुर।

सीकर रोड स्थित कृषि उपज मंडी कुकरखेड़ा में शनिवार सुबह सीवर लाइन की सफाई करने के लिए राजू और सतीश 9 फीट गहरे चैम्बर में उतरे थे। ऊपर अजय खड़ा था। गैस के कारण उसका दम घुटने लगा तो वह जोर-जोर से चिल्लाने लगा। उसकी आवाज सुनकर आसपास के लोग और व्यापारी दौड़े आए। माजरा देख पुलिस को भी सूचना दी। पुुलिस ने लोगों की मदद से मजदूरों को बाहर निकाला। लेकिन तब तक तीनों मजदूरों की हालत बिगड़ चुकी थी। तीनों को कांवटिया अस्पताल भेजा गया, जहां राजू और सतीश का दम टूट गया। बाद में अजय को एसएमएस अस्पताल रैफर किया गया, जहां उसकी हालत में सुधार बताया गया है।

ठेकेदार गायब, लापरवाही का मामला दर्ज

पुलिस ने बताया कि तीनों मजदूरों को ठेकेदार ने सुरक्षा उपकरणों के बिना ही सीवर लाइन की सफाई के लिए भेज दिया था। घटना के बाद से ठेकेदार गायब है, जिसके खिलाफ लापरवाही के कारण मजदूरों की मौत होने का मामला दर्ज किया गया है।

पार्षद ने मंडी प्रशासन को ठहराया जिम्मेदार

क्षेत्रीय पार्षद किशन अजमेरा आरोप लगाया कि घटना के लिए मंडी प्रशासन जिम्मेदार है। सीवर चैंबर की सफाई के लिए मंडी प्रशासन को नगर निगम के कार्मिकों को बुलाना चाहिए था लेकिन निजी ठेकेदार को बुलाया गया। उसने मास्क, गमबूट सहित अन्य सुरक्षा उपकरणों के बिना ही मजदूरों को सीवर चैंबर में उतार दिया। मंडी के गेट पर ही हाजिरीगाह है। सीवर चैंबर की सफाई के लिए नगर निगम के पास जेटिंग मशीन, उपकरण आदि उपलब्ध हैं। निजी ठेकेदार भी मांगे तो निगम संसाधन उपलब्ध कराता है।

लोगों ने उठाए सवाल

– कृषि उपज मंडी प्रशासन ने सीवर चैंबर की सफाई के लिए नगर निगम को सूचना क्यों नहीं दी?
– मंडी प्रशासन ने बिना जांच किए ऐसे ठेकेदार को काम क्यों सौंपा, जिसके पास सुरक्षा उपकरण भी नहीं थे?

परिवार में मचा कोहराम

मृतक राजू और सतीश की मौत की सूचना पर किशनबाग स्थित उनके घर पर कोहराम मच गया। वहां खासी भीड़ जमा हो गई। परिजनों को ढाढस बंधा रहे लोगों की खुद की भी रुलाई फूट पड़ी। लोगों ने ठेकेदार के खिलाफ रोष जताया और मुआवजे की मांग भी की।

अत्याधुनिक उपकरण तो दूर, लालटेन का भी उपयोग नहीं

– सीवर के गड्ढे में उतरने के दौरान बढ़ता जा रहा मौत का आंकड़ा
– नगर निगम आगे बढ़ा लेकिन अत्याधुनिक उपकरण अब भी नाकाफी
– जहां हादसा, वह नगर निगम व जेडीए परिधि क्षेत्र से बाहर
राजधानी में ही नहीं, प्रदेश में सीवर लाइन की सफाई करते समय कई मजदूरों की जान जा चुकी है लेकिन व्यवस्था नहीं सुधर रही है। नगर निगम प्रशासन सफाईकर्मियों को प्रभावी प्रशिक्षण भी नहीं दे रहा है। हालांकि अभी कई जरूरी उपकरण मंगवाए गए हैं लेकिन ठेकेदारों को सफाई का ठेका जिम्मा सौंपकर प्रशासन ने इतिश्री कर ली है। सुरक्षा उपकरणों की सुध तक नहीं ली है। विशेषज्ञों की मानें तो अत्याधुनिक संसाधन नहीं हों तो भी सावधानी बरतकर ऐसे हालात से बचा जा सकता है। सीवर लाइन में जहरीली गैस से बचने के लिए ‘लालटेन’ का उपयोग किया जा सकता है।
तीन सैकंड में दम घोट देती है मिथेन

विशेषज्ञों का कहना है कि जाम होने वाली सीवर लाइन में मिथेन गैस बन जाती है। बिना सुरक्षा उपकरणों के लाइन में उतरने पर मिथेन मात्र ३ सेकंड में इंसान का दम घोट देती है।
जयपुर में 3 साल में जा चुकी हैं 9 जानें

– 03 वर्ष पहले हरमाड़ा में सीवर के गड्ढे में सफाई के लिए उतरने पर ३ मजदूरों की मौत हो गई थी

– 02 मजदूरों की मौत हो गई थी प्रतापनगर में सीवर के गड्ढे में उतरने पर दम घुटने से
– 02 मजदूरों की मानसरोवर स्थित रीको औद्योगिक क्षेत्र में मौत हो गई थी सीवर के गड्ढे में उतरने के बाद
– 02 मजदूरों की मौत हो गई थी 2016 में सिविल लाइंस फाटक स्थित स्वायत्त शासन विभाग कार्यालय के पास सीवरेज लाइन में जहरीली गैस से दम घुटने के कारण, दोनों सुरक्षा उपकरण लिए बिना सफाई करने उतरे थे।

ये हैं सुरक्षित तरीके, लेकिन पुख्ता इंतजाम नहीं

– अत्याधुनिक मशीनों से सीवर लाइन का मलबा बाहर खींचा जा सकता है। ऐसे उपकरणों का आगे का हिस्सा घुमावदार रहता है। परम्परागत तरीके से काम करने पर सुरक्षा उपाय जरूरी हैं।
– मजदूर को मास्क और ऑक्सीजन किट देकर मैनहोल में उतारा जाना चाहिए।
– कमर पर सुरक्षा बैल्ट होनी चाहिए। इसका एक सिरा ऊपर मजदूर के पास रहता है। विपरीत स्थिति में भीतरी मजदूर को तुरन्त बाहर खींचा जा सकता है।
– सीवर लाइन का ढक्कन हटाकर रस्सी से जलती लालटेन उतारी जाती है। नीचे वह बुझ जाए तो गड्ढे में ऑक्सीजन नहीं है। गड्ढे का ढक्कन कुछ घंटे खुला छोडऩे के बाद फिर लालटेन डाली जाती है। इस बार नहीं बुझे तो गड्ढे में ऑक्सीजन पहुंच चुकी है। हालांकि इसके बाद भी मास्क लगाना जरूरी है।

जाम सीवर लाइन के लिए आएंगी 8 मशीनें

– 05 जेटिंग मशीनें और 3 सक्शन मशीनें मंगवा रहा है नगर निगम, इसके लिए कार्यादेश दिया जा चुका है।
– अभी 22 जेटिंग मशीनें हैं।

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