किसी देश की क्रिकेट टीम की मजबूती महज प्लेइंग इलेवन से नहीं, बल्कि बेंच स्ट्रेंथ और उससे भी अधिक फ्यूचर टीम से आंकी जाती है। वर्ल्ड कप चौथी बार भारत की झोली में डाल इन बच्चों ने दिखा दिया कि भारत की फ्यूचर टीम भी वर्तमान टीम से कम नहीं होगी। अलबत्ता, बेहतर जरूर हो सकती है। अब देखते हैं कैसी है हमारी इस तरुण टीम की शक्ति।
तैयार है टॉप ऑर्डर
टीम इंडिया के दरवाजे पर तरुण टीम दस्तक देने में सक्षम नजर आई। बल्लेबाजी में टॉप ऑर्डर देखें। ओपनर कप्तान पृथ्वी शॉ और मनजोत, तीसरे नंबर पर शुभमान गिल तो सेकंड डाउन हार्विक देसाई दुनिया की किसी भी टीम के टॉप ऑर्डर के रूप में उसे चैंपियन टीम बनाने की क्षमता रखते हैं।
इनमें विश्व कप में 124 की औसत से 372 रन बनाने वाले शुभमन गिल में विराट की छवि नजर आती है। कप्तान पृथ्वी शॉ की टाइमिंग, शॉट सलेक्शन और स्टाइल से
सचिन तेंदुलकर की याद ताजा हो जाती है। हार्विक देसाई के स्ट्रोक्स में हिटमैन रोहित शर्मा दिखते हैं, तो फाइनल में शानदार शतक ठोक मैन ऑफ द मैच बने मनजोत कालरा भविष्य की टीम इंडिया में युवराज बन कर आ सकते हैं।
गेंदबाज भी कम नहींगेंदबाजों में
जयपुर के कमलेश नागरकोटी इस टूर्नामेंट की सबसे बड़ी खोज कहे जा सकते हैं, जिन्होंने 149 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से बॉल के साथ ही लगातार हर मैच में 140 किमी से अधिक की गति से फेंक सबको चौंका दिया। तो, नागरकोटी के साथी नोएडा के शिवम मावी ने भी लगातार 140 किमी की गति से गेंदबाजी कर भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई है। इन दोनों की रफ्तार का कमाल ही है कि टूर्नामेंट में कोई टीम भारत के सामने पैर न जमा सकी।
ऑस्ट्रेलियाई कोच इयान हैरिस का तो कहना है कि स्पिनर पैदा करने वाले भारत में इस रफ्तार के गेंदबाजों का होना चौंकाने वाली बात है। हैरिस कहते हैं, खासकर नागरकोटी की रफ्तार तो देखने लायक है।
फिर, झारखंड के स्पिनर अनुकूल रॉय में स्टार वाली चमक है, तो किसी भी टीम को फिरकी पर नचाने का माद्दा भी नजर आता है। जाहिर है, भारत की इस नई पौध के बल्ले और बॉल से दिखाए कमाल से यकीनन भरोसा पक्का होता है कि भविष्य की टीम इंडिया भी चैंपियन होगी।