IAS EXAM में देश में पहली रैंक पाकर राजस्थान का नाम रोशन करने वाले कनिष्क कटारिया का खुशी का ठिकाना नहीं रहा। इस बारे में उनका कहना था कि एकबारगी विश्वास ही नहीं हुआ कि पहले प्रयास में फर्स्ट रैंक हासिल की है, लेकिन मम्मी-पापा ने गले लगा लिया तो खुद पर यकीन हुआ।
IAS topper कनिष्क ने बताया कि उन्होंने 7-8 महीनों के लिए दिल्ली में कोचिंग की थी। तैयारी से पहले उन्होंने साढ़े तीन साल तक नौकरी भी की। वहीं, टॉपर आने के सवाल पर उन्होंने कहा कि पेपर-इंटरव्यू अच्छा हुआ था, लेकिन यह उम्मीद नहीं थी कि वे परीक्षा टॉप करेंगे। 2014 में आइआइटी, मुंबई से डिग्री के बाद दक्षिण कोरिया में डेढ़ साल मोबाइल कंपनी में नौकरी की, फिर बेंगलूरु में एक साल जॉब किया। इसके बाद पिता की इच्छा पूरी करने के लिए सिविल सेवा की परीक्षा दी।
सवाल: क्या पढ़ाई के बीच शौक को भूला दिया?
जवाब: बिल्कुल नहीं, मेरा फलसफा यही रहा है कि जो भी करो, शौक को जिंदा रखो। मैंने पढ़ाई के दौरान ही फुटबॉल से लेकर क्रिकेट मैच तक देखे। सभी युवाओं से यही कहना चाहूंगा कि जब भी पढाई करो डेडिकेट होकर करें और जब खेलें व शौक पूरा करें तो उसमें भी पूरा डेडिकेशन रहे।
सवाल: टॉपर की उम्मीद थी?
जवाब: यह मेरा पहला प्रयास था। पेपर-इंटरव्यू अच्छा हुआ था। इसलिए उम्मीद थी कि परिणाम अच्छा आएगा। इस बात की थोड़ी भी उम्मीद नहीं थी कि मैं टॉप करूंगा। परिवार
पिता: सांवरमल वर्मा (आईएएस, निदेशक— सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग)
माता: सुमन वर्मा (गृहिणी)
बहन: डॉ. तन्मया कटारिया (सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज से ईएनटी में एमएस कर रही हैं)
ताऊ : के.सी. वर्मा, संभागीय आयुक्त, जयपुर
दादा: जिला शिक्षा अधिकारी से सेवानिवृत
नाना: सेवानिवृत आरएएस शंकरलाल बुनकर