राजे की सियासी खामोशी हमेशा से ही चर्चा में बनी रहती है। उनकी चुप्पी को लेकर तो कई बार वे विरोधियों के निशाने पर भी रहती हैं। चुनावी सरगर्मियों के बीच भी वे सरकार विरोधी बयानबाजी से दूर ही रहीं हैं, जबकि प्रदेश भाजपा के अन्य नेता लगभग हर दिन सरकार को अलग-अलग मामलों पर घेरते हुए आरोपों की बौछार करने में सक्रीय हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री का सरकार विरोधी ताज़ा बयान लगभग एक महीने के बाद आया है। इससे पहले उन्होंने 26 अक्टूबर को अलवर में सेल्समेन की ज़िंदा जलाकर ह्त्या के मामले पर सरकार पर सवाल उठाये थे।
राजे मीडिया से अक्सर दूरी बनाए रखती हैं। फिलहाल सोशल मीडिया के ज़रिये ही उनकी प्रतिक्रियाएं जारी हो रही हैं। ऑफिशियल ट्विटर पर लगभग हर दिन उकी प्रतिक्रियाएं जारी हो रही हैं। लेकिन ज़्यादातर प्रतिक्रियाएं जन्मदिन पर शुभकामना, निधन पर शोक सन्देश, जयंती या पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि देने और किसी पर्व विशेष पर बधाई देने की ही रहती हैं। सियासी बयानबाजियां या आरोप-प्रत्यारोपों की प्रतिक्रियाएं एक्का-दुक्का ही जारी होती हैं, जो चर्चा का विषय भी बनती हैं।