राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल के आंकड़ों के अनुसार जब प्रति डायमीटर हवा में पार्टिकुलेट मैटर्स 2.5 मिलीमीटर की संख्या 400 से ज्यादा हो जाती है, तो उसे खतरनाक स्तर माना जाता है। आम भाषा में समझें तो इसका मतलब ये होता है कि यदि कोई व्यक्ति खतरनाक स्तर वाली हवा में 24 घंटे तक सांस लेता है, तो उसके फेफड़ों में 10 से 12 सिगरेट पीने जितना धुंआ चला जाता है। लगातार प्रदूषित हवा में सांस लेने से दमा भी हो सकता है। जो लोग श्वास रोग से पीड़ित हैं, उन्हें सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ता है।
राजस्थान के किस शहर में कितना प्रदूषण
जोधपुर — पीएम 2.5 एमएम का स्तर खतरनाक (444)
जयपुर — पीएम 2.5 एमएम का स्तर बहुत खराब (336)
पाली — पीएम 2.5 एमएम का स्तर बहुत खराब (301)
उदयपुर — पीएम 2.5 एमएम का स्तर बहुत खराब (331)
अजमेर — पीएम 2.5 एमएम का स्तर बहुत खराब (357)
भिवाड़ी — पीएम 2.5 एमएम का स्तर बहुत खराब (319)
पिछले साल अलवर में खतरनाक हुआ था प्रदूषण
बीते साल 2017 में दीपावली की रात प्रदेशभर में खूब पटाखे फोड़े गए। इसके कारण प्रदेश के बड़े शहरों में हवा में इतना जहर घुल गया कि हवा में प्रदूषण का स्तर बहुत खराब स्तर तक पहुंच गया। अजमेर की हवा में प्रदूषण तो खतरनाक स्तर पर पहुंच गया। अजमेर का एक्यूआई इंडेक्स 426 तक पहुंच गया था। जबकि उदयपुर, जोधपुर, पाली, भिवाड़ी और जयपुर में एक्यूआई इंडेक्स 300 के पार हो गया था।
0 से 100 — अच्छा
101 से 200 — ठीकठाक
201 से 300 — खराब
301 से 400 — बहुत खराब
400 से 500 — खतरनाक