कहीं महिला हैल्प लाइन नम्बर गायब, तो कहीं गलत नम्बर बसों में अगर महिलाओं के साथ छेड़छाड़ या अन्य कोई घटना हो तो महिला यात्री बस में लिखे महिला हैल्प लाइन नम्बर पर फोन कर सहायता मांग सकती है। संवाददाता ने शहर में चल रही लो फ्लोर में इस स्थिती का जायजा लिया तो हकीकत सामने आई।
– सांगानेर से अजमेरी गेट की ओर जाने वाली बस नम्बर 3 में महिला हैल्प लाइन नम्बर कहीं नहीं लिखे थे, जब संवाददाता ने ड्राइवर से इस बारे में पूछा तो उसका जबाव था, कि जेसीटीसीएल वालों ने हमें बस चलाने को देदी हम ले आए। बस में न सीसीटीवी कैमरे थे और न ही पेनिक बटन।
– मानसरोवर से दादी का फाटक जाने वाली ९ए बस में महिला हैल्पलाइन नम्बर 1090 की जगह चाइल्ड हैल्प लाइन नम्बर 1098 लिखा हुआ था। बस में पेनिक बटन लगा हुआ तो था, लेकिन वह काम नहीं कर रहा था।
बेबस दिखी महिलाएं सिटी बसों में महिला आरक्षित सीट तो बना दी गई, लेकिन उन पर पुरुषों का कब्जा दिखा। भीड़ में खड़ी महिलाएं बेबस दिखी। अपने अधिकार के प्रति महिलाएं भी सजग नहीं दिखी। गोपालपुरा से शास्त्री नगर जा रही सीमा अग्रवाल और वैशाली अग्रवाल से पूछा कि वो महिला सीट पर बैठे लड़कों को क्यों नहीं उठा रही है तो उसका कहना था कि हमारा रोज का आना जाना है। पुरुषों को जब सीट से उठने के लिए कहते हैं तो कभी तो वो उठ जाते हंै कभी बदतमीजी से बात कर उठने से मना कर देते हैं। कंडक्टर भी उनको कुछ नहीं कहते इसलिए अब हमने अपना अधिकार जताना ही छोड़ दिया।
राजस्थान पत्रिका ने चलाया अभियान फिर भी नहीं चेता जेसीटीसीएल सिटी बसों में महिला सुरक्षा को लेकर राजस्थान पत्रिका की ओर से २५ जून से “महिला सुरक्षा कब तक बेबस” अभियान चलाया था। जिसमें संवाददाता ने लो फ्लोर बसों में सुरक्ष इंतजाम की पड़ताल की, साथ ही बस में यात्रा करने वाली महिलाओं से बातचीत कर उनकी समस्या जानी। इस दौरान खस्ताहाल महिला सुरक्षा इंतजाम और बस में पुरुष यात्रियों द्वारा महिलाओं और लड़कियों के साथ होने वाली बदसलूकी का मुद्दा उठाया था। इस पर जेसीटीसीएल ने महिला सुरक्षा इंतजाम ठीक करने के लिए कहा। करीब ढाई माह बीत जाने के बावजूद जेसीटीसीएल ने इस ओर ध्यान ही नहीं दिया। अगर ध्यान दिया होता तो, ये घटनाएं होती ही नहीं।
ये है इनका कहना कोचिंग जाने के लिए रोज बस से सफर करती हूं। लो फ्लोर बसों में लड़कियों का सफर करना बड़ा मुश्किल है। पुरुषों के साथ भीड़ में खड़ेे होकर जाना लड़कियों के लिए असुरक्षित है।
पूजा जांगिड़, स्टूडेंट लो फ्लोर बसों के अलावा शहर में चल रही मिनी बसों में भी महिला सुरक्षा के इंतजाम होने चाहिए। मिनी बस में मेरा पर्स चोरी हो गया। सरकार मिनी बस वालों को भी महिला सुरक्षा के लिए पाबंद करे।
ज्योती यादव, स्टूडेंट सिटी बसों में महिलाओं के साथ हुई बदसुलूकी की घटनाए बेहद शर्मनाक हैं। ये घटनाएं महिला सुरक्षा पर सवाल खड़ी करती हैं। ज्योती यादव, शिक्षिका