दरअसल राजस्थान पुलिस में करीब 2800 महिला शौचालयों की जरूरत है। प्रत्येक पुलिस थाने में महिला कर्मियों के लिए न्यूनतम एक शौचालय की जरूरत है। प्रदेश में 862 पुलिस थाने हैं। जिनमें 473 शौचालय मौजूद, 389 शौचालय की जरूरत है। प्रत्येक जिले की रिजर्व पुलिस लाइन में कम से कम 10 टॉयलेट आवश्यक हैं। प्रदेश की 36 रिजर्व पुलिस लाइन में 171 शौचालय उपलब्ध है जबकि 189 की आवश्यकता और है। आरएसीए एमबीसी बटालियन में कम से कम 5 शौचालय चाहिए। 18 एमबीसीए आरएसी बटालियन मुख्यालय में 41 शौचालय उपलब्ध है जबकि 49 की और जरूरत है। प्रत्येक प्रशिक्षण संस्थान में कम से कम 15 शौचालयों की जरूरत है। प्रदेश में 10 ट्रेनिंग संस्थान में 97 महिला शौचालय मौजूदए 53 की आवश्यकता है। शौचालय निर्माण के लिए करीब 15 करोड़ रुपए की जरूरत है। इस बारे में पूर्व डीजीपी भूपेन्द्र सिंह ने सरकार को पत्र भी लिखा लेकिन उसके बारे में आगे कार्रवाई नहीं हो सकी।
ये तो थी शौचालयों की स्थिति और जरुरत। अब बात करते हैं कि काम के समय महिलाएं कैसे अपने जरुरत पूरी करती हैं। शहर के पुलिस थानों की बात करें तो अधिकतर में पचास से ज्यादा का स्टाफ है और आठ से बारह तक महिला स्टाफ है। इनको भी पुरुष टाॅयलेट यूज करने पडते हैं। कई महिला कार्मिकों को कई बार थानों के आसपास बने मकानों में टाॅयलेट के लिए जाना पडता है। वहीं सबसे बड़ी समस्या याातयात पुलिसकर्मी झेलती हैं। अव्वल तो सरकारी शौचालय शहर में गिने चुने हैं। उपर से वे इतने गंदे हैं कि पुरुष ही मुश्किल से जा पाते हैंे। शहर के एक बड़े चैराहे पर ड्यूटी देनी वाली महिला पुलिसकर्मी का कहना था आसपास के घरों में जाकर काम निकालते हैं। लेकिन कई बार जब घर बंद होते हैं तो उस समय समस्या बढ़ जाती है। ऐसे में गंदे पुरुष टाॅयलेट तक यूज करने पडते हैं।
उधर इन समस्याओं के बीच एक बड़ी गंभीर बीमारी है जो पैर पैसार रही है बेहद तेजी से। वह है यूरिन इंफ्ेक्शन। महिला चिकित्सकों का कहना है कि कामकाजी महिलाएं गंदे टाॅयलेट्स के कारण पानी कम पीती हैं और इससे खड़ी होती यूरिन इंफ्ेक्शन की समस्या। यूरिनेट के दौरान होने वाली जलन को कम करने के लिए बडी एंटी बायोटिक डोजेज लगती हैं। जरा सी चूक या लापरवाही कैंसर तक को आमंित्रत करती है। कामकाजी महिलाओं की बात की जाए तो हर दस में से तीन को यूरिन इंफ्ेक्शन की समस्या है।
राजस्थान पुलिस की स्ट्रैंथ की बात की जाए तो आईपीएस से लेकर सिपाही तक एक लाख नौ हजार पांच सौ नौ पद स्वीकृत हैं। इन पर 94 हजार 637 पुलिसकर्मी आॅन ड्यूटी हैं। इनमें करीब नौ हजार महिला पुलिसकर्मी शामिल हैं। यह संख्या तीस प्रतिशत आरक्षण को भी पूरा नहीं करतीं। इन करीब नौ हजार पुलिसककर्मियों मंे करीब पच्चीस आईपीएस से लेकर आठ हजार तक महिला सिपाही का बेड़ा शामिल है। लेकिन इनके लिए शौचालयों की संख्या जितनी होनी चाहिए उस अनुपात में बेहद कम है। यह एक हजार के आंकड़े को भी नहीं छू रहा है। महिला शौचालयों की संख्या करीब आठ सौ ही है।