scriptननिहाल होने के कारण जैसलमेर से हमेशा विशेष लगाव रहा | Being a child, always had a special attachment with Jaisalmer | Patrika News
जैसलमेर

ननिहाल होने के कारण जैसलमेर से हमेशा विशेष लगाव रहा

जैसलमेर. वाजपेयी सरकार में देश के वित्त, विदेश और रक्षा मंत्री जैसे ऊंचे ओहदों पर रहे कद्दावर नेता जसवंत सिंह का लम्बी बीमारी से निधन हो जाने के बाद सीमावर्ती जैसलमेर जिले के लोगों ने शोक व दु:ख जताया।

जैसलमेरSep 28, 2020 / 12:15 pm

Deepak Vyas

ननिहाल होने के कारण जैसलमेर से हमेशा विशेष लगाव रहा

ननिहाल होने के कारण जैसलमेर से हमेशा विशेष लगाव रहा

जैसलमेर. वाजपेयी सरकार में देश के वित्त, विदेश और रक्षा मंत्री जैसे ऊंचे ओहदों पर रहे कद्दावर नेता जसवंत सिंह का लम्बी बीमारी से निधन हो जाने के बाद सीमावर्ती जैसलमेर जिले के लोगों ने शोक व दु:ख जताया। लोगों को जैसे ही रविवार सुबह उनके निधन की सूचना मिली, उन्होंने सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्मों पर शोक संदेश देकर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। दरअसल जसवंत सिंह का जैसलमेर जिले से हमेशा विशेष लगाव रहा। जिले के खुहड़ी गांव में उनका ननिहाल है और यही कारण है कि उनके बचपन का बड़ा हिस्सा मरुस्थलीय भू-भाग में बीता। जो उनके जेहन में हमेशा जीवंत रहा। वे जब भी जैसलमेर यात्रा पर आते, निजी व सार्वजनिक कार्यक्रमों में ननिहाल में बिताए अपने बचपन की चर्चा अवश्य करते। बाद के वर्षों में उनके परिवार ने जैसलमेर में होटल बनाया और इस तरह से इस इलाके से उनका जुड़ाव और पुख्ता हो गया।
नियमित तौर पर आते जैसलमेर
सेना में सेवाएं देने के बाद राजनीतिक जीवन में प्रवेश करने वाले जसवंत सिंह चाहे कितने भी व्यस्त रहे होए उनका जैसलमेर आगमन नियमित तौर पर होता। यहां आने पर सभी वर्गों व क्षेत्रों से लोग उनसे मिलने पहुंचते। वे भी किसी को निराश नहीं करते और बहुत अपणायत के साथ सबसे बातचीत करते। जसवंतसिंह का हिंदी के अलावा अंग्रेजी भाषा पर विशेष अधिकार था। इसके बावजूद जैसलमेर के बाशिंदों के साथ वे हमेशा मारवाड़ी भाषा में बात करते। और तो और चुनावी सभाओं में भी उनका अधिकांश सम्बोधन मारवाड़ी में रहता। अपने गृह क्षेत्र बाड़मेर और ननिहाल जैसलमेर से विशेष लगाव होने के कारण ही उन्होंने अपने जीवन का आखिरी चुनाव इस लोकसभा क्षेत्र से लडऩे का संकल्प लिया। जब भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दी तो निर्दलीय के रूप में चुनाव मैदान में उतरे। स्वाभिमान के नारे के साथ चुनाव लड़े जसवंत सिंह भले ही 2014 की मोदी लहर में पराजित हो गए लेकिन उन्हें क्षेत्रवासियों का अपार समर्थन मिला। जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र से वे उस चुनाव में बीस हजार मतों से ज्यादा की बढ़त लेने में कामयाब रहे थे। जसवंतसिंह की पराजय के बाद इस क्षेत्र में भाजपा को पंचायतीराज संस्थाओं के चुनावों में राजपूत समाज के प्रबल विरोध का भी सामना करना पड़ा था। और उसका सीधा फायदा कांग्रेस को हुआ। जो उस समय राजस्थान में विपक्ष में होने के बावजूद जिला प्रमुख तथा तीनों पंचायत समितियों में अपने प्रधान बनाने में कामयाब रही।

Home / Jaisalmer / ननिहाल होने के कारण जैसलमेर से हमेशा विशेष लगाव रहा

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो