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जैसलमेर

विशाल मरुस्थलीय और सीमावर्ती जैसलमेर जिले में हालात निराशाजनक

पानी पहुंच रहा या नहीं, संभालने वाला कौन-राजनीतिक पहुंच भी नहीं आ रही काम

जैसलमेरJul 02, 2020 / 09:11 pm

Deepak Vyas

विशाल मरुस्थलीय और सीमावर्ती जैसलमेर जिले में हालात निराशाजनक

विशाल मरुस्थलीय और सीमावर्ती जैसलमेर जिले में हालात निराशाजनक

जैसलमेर. करीब 39 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले सीमांत जैसलमेर जिले में इन दिनों पड़ रही भीषण गर्मी में दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों से पेयजल किल्लत की समस्या विकट बनी हुई है। गांवों में बनी पानी की टंकियां और पशु खेळियां सूखी हैं तथा लोग सरकारों की तरफ से पेयजल आपूर्ति व्यवस्था पर अरबों रुपए खर्च किए जाने के बावजूद पानी-पानी करने को मजबूर हैं। इसके लिए इतने विशालकाय जिले में जलापूर्ति व्यवस्था की मोनेटरिंग करने वालों की बेजा कमी सीधे जि मेदार है। कभी जिले के राजनीतिक पिछड़ेपन को व्यवस्थाओं में कमी के लिए दोषी ठहराया जाता था, लेकिन वर्तमान में जिले के एक विधायक राज्य मंत्रिमंडल में केबिनेट मंत्री हैं और जिले के प्रभारी मंत्री के पास जलदाय का महकमा है। ऐसे ही जिले के दो विधानसभा क्षेत्रों से संबंधित दोनों सांसद केंद्र में क्रमश: केबिनेट और राज्यमंत्री के पद पर हैं। इसके बावजूद स्थितियां शोचनीय बनी हुई हैं।
कैसे हो सार-संभाल
जिले में जलदाय महकमे के 50 से 70 प्रतिशत तक सहायक और कनिष्ठ अभियंताओं जैसे फिल्ड संभालने वाले अधिकारियों के पद पिछले लंबे अर्से से रिक्त चल रहे हैं। जैसलमेर के एक कनिष्ठ अभियंता के पास धऊवा से लेकर ठेठ सीमांत केरला.मिठड़ाऊ तक के क्षेत्रफल में जलापूर्ति व्यवस्था को संभालने की जिम्मेदारी है। जानकारों के मुताबिक अन्य जिलों में सहायक अभियंता के पास 50-60 किलोमीटर तक का दायित्व रहता है और यहां एक कनिष्ठ अभियंता के कंधों पर 100 से ज्यादा किलोमीटर लंबे क्षेत्र में समय पर पानी पहुंचाने की जिम्मेदारी है। जानकारी के अनुसार जिले में सहायक अभियंताओं के 17 में से 13 पद रिक्त हैं तो 23 की बजाय 9 कनिष्ठ अभियंता ही काम कर रहे हैं। इन अभियंताओं की कमी के कारण पेयजल आपूर्ति की न तो निगरानी हो पा रही है और न ही लाइनों व अन्य मशीनरी की सार.संभाल ही। अभियंताओं की कमी के चलते अधिकांश लाइनें तकनीकी स्टाफ के भरोसे है। सेवानिवृत्ति के कारण उनकी संख्या लगातार कम हो रही है। नई भर्ती सरकार के स्तर पर पिछले सात वर्षों से अटकी हुई है। वैसे तकनीकी स्टाफ भी जरूरत का एक.चैथाई ही काम कर रहा है।
संचार का संकट
जिले में पाकिस्तान से सटी 471 किलोमीटर दुर्गम सीमा क्षेत्र और उसके आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में पानी पहुंचाने की चुनौती बहुत बड़ी है। अव्वल तो वहां व्यवस्था संभालने वाले अभियंता कम है और इसके अलावा उन क्षेत्रों में आज भी संचार के साधनों की कमी है। समस्या आने पर अधिकारियों तक बात पहुंचाने के लिए मोबाइल का नेटवर्क भी बहुत मशक्कत करने पर मिल पाता है।
अलग खंड की दरकार
जानकारों की मानें तो जैसलमेर जिले में पेयजल योजनाओं के संचालन और संधारण के लिए अलग से खंड की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही है। वर्तमान में जिले में जलदाय महकमे के तहत जिलाखंड, नगरखंड और पोकरण खंड ही कार्यरत है। अलग से खंड बनाए जाने के बाद ही दूरदराज के गांव-ढाणियों तक बिछाई लाइनों की संभाल के साथ पानी पहुंचने की व्यवस्था की मोनेटरिंग की जा सकती है।

फैक्ट फाइल
-03 खंडों में विभक्त जिले का जलदाय महकमा
-30 से 50 प्रतिशत तक अभियंताओं की कमी
-100 किमी से ज्यादा क्षेत्रफल एक कनिष्ठ अभियंता के भरोसे
-471 किलोमीटर की अंतरराष्ट्रीय सीमा जिले में

समस्या से अवगत करवाया
सहायक और कनिष्ठ अभियंताओं के बड़े पैमाने पर रिक्त पदों के बारे में उच्च स्तर पर अवगत करवाया है। उम्मीद है, जल्द ही रिक्त पदों पर पदस्थापन करवाया जाएगा। विशाल क्षेत्रफल वाले जिले में जलापूर्ति व्यवस्था को सुचारू बनाने में यह बड़ी समस्या है। इसका समाधान करवाकर जलापूर्ति का माकूल बंदोबस्त किया जाएगा।
-जेपी जोरवाल, अधीक्षण अभियंता, जलदाय विभाग जैसलमेर

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