scriptVideo: वन्य प्राणियों की ‘श्वास’ तोड़ रहे ‘श्वान’ | 'Dogs' breaking the 'breath' of wild animals | Patrika News
जैसलमेर

Video: वन्य प्राणियों की ‘श्वास’ तोड़ रहे ‘श्वान’

-वन्य जीव बाहुल्य क्षेत्रों में आए दिन काल का ग्रास बन रहे मूक प्राणी-चिंकारा, सांडा, लोमड़ी के साथ गोडावण व मोर भी खतरे में-जिम्मेदारों का तर्क- श्वान पकडऩे का दायित्व उनके पास नही

जैसलमेरJul 10, 2020 / 11:14 pm

Deepak Vyas

Video: वन्य प्राणियों की 'श्वास' तोड़ रहे 'श्वान'

Video: वन्य प्राणियों की ‘श्वास’ तोड़ रहे ‘श्वान’

जैसलमेर/लाठी- शांत व सुकून के प्राकृतिक माहौल में स्वच्छंद विचरण करने वाले वन्य प्राणियों पर श्वानों का खतरा मंडरा रहा है। ये श्वान वन्य प्राणियों पर नजरे गड़ाए रहते हैं और स्वच्छंद विचरण करने के दौरान चिंकारा, सांडा, लोमड़ी को शिकार बना रहे हैं। राष्ट्रीय पक्षी मोर व राज्य पक्षी गोडावण पर भी इन श्वानों का खतरा मंडरा रहा है। उधर, जिम्मेदार विभाग का तर्क है कि वे श्वानों को खदेड़ सकते हैं, लेकिन पकडऩे का जिम्मा उनके पास नही है। उधर, वन्यजीव बाहुल्य क्षेत्र जाने जाने वाले लाठी क्षेत्र में हरिणों की स्वछंद कुलांचों में अवारा श्वानों ने के खतरे ने मानों बेडिय़ां डाली रखी है। आवारा श्वानों की ओर से हरिणों पर हमला उन्हें काल का ग्रास बनाने की घटनाएं आए दिन सामने आ रही है। वन्य जीव प्रेमियों की मानें तो जिम्मेदार वन विभाग हरिणों सहित वन्य जीवों की श्वानों से सुरक्षा को लेकर अब तक प्रभावी कार्रवाई नहीं कर पाया है। जब भी हिरणों की मौत होती है,तो विभाग फौरी कार्रवाई कर इतिश्री कर ली जाती है। कभी हरिणों से आबाद रहने वाले उक्त क्षेत्र में इनकी संख्या घटने का खतरा बना हुआ है। इसी तरह जिले के वन्यजीव बाहुल्य क्षेत्र धोलिया, खेतोलाई, भादरिया, रामदेवरा सहित राष्ट्रीय मरु उद्यान के आस पास आए दिन कुत्तो द्वारा वन्यजीवों पर हमले की घटनाएं आए दिन सामने आ रही है। श्वानों की संख्या ज्यादा होने से ये ग्रामीण क्षेत्रों से वन्य क्षेत्रों में आवागमन कर रहे हैं। मुख्य रूप से चिंकारा हरिण, मोर, गोडावण, सांडा, लोमड़ी आदि वन्यजीवों पर ये हमला कर रहे हैं। गौरतलब है कि राष्ट्रीय मरु उद्यान में गोडावण संरक्षण के लिए एक तरफ आमजन के विचरण के लिए रोक लगाई है, साथ ही गांवों को हटाया गया है। वहीं दूसरी ओर आवारा श्वान खुलेआम वन्यजीवों का शिकार कर रहे है।
रोकने का नहीं कोई विकल्प
चिंकारा, लोमड़ी, गोडावण आदि वन्य जीव थार के रेगिस्तान में एक दशक से श्वानों का शिकार हो रहे हैं। बावजूद इसके इन पर अंकुश लगाने का कोई विकल्प अब तक नहीं मिला है। जिम्मेदार विभाग के अधिकारी कहते हैं कि श्वानों को पकडऩे का काम विभाग का नहीं है।


हरिणों को सर्वाधिक खतरा
पिछले कुछ वर्षों से लाठी-धोलिया क्षेत्र में श्वानों का स्वच्छंद विचरण बढ़ रहा है। उनकी संख्या दिनों दिन बढती जा रही है। इनसे सर्वाधिक खतरा हरिणों को है। क्षेत्र में गत तीन वर्षों में लगभग 500 के करीब हरिण इनके ग्रास बन चुके हैं। क्षेत्र में गोडावण भी काफी तादाद में है। उन पर भी आवारा श्वान हमला करते हुए कई बार देखें गए हैं। वन विभाग को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए,अन्यथा आने वाले समय में हिरण व गोडावण की संख्या ना के बराबर हो जाएगी।
-राधेश्याम पेमाणी, अखिल भारतीय बिश्नोई सभा के तहसील संयोजक,पोकरण

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