चारे की व्यवस्था करना हो रहा मुश्किल
अकाल की स्थिति के कारण क्षेत्र में चारे के दाम भी बढ़ गए हैं। जिससे पशुपालकों के लिए चारे की व्यवस्था करना मुश्किल हो रहा है। रियायती दर पर चारा डिपो शुरू नहीं होने के कारण पशुपालकों को महंगे दामों में चारा खरीदकर मंगवाना पड़ रहा है। जिससे उन्हें परेशानी हो रही है। बावजूद इसके पशु शिविर व चारा डिपो शुरू करने को लेकर जिम्मेदारों की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
यह है चारे के भाव
वर्तमान में बाजार में मूंगफली का चारा 900 रुपए क्विंटल, कड़ब का चारा 950 रुपए क्विंटल, खारिये की कुतर का चारा एक हजार रुपए क्विंटल, ग्वार का चारा 850 रुपए क्विंटल उपलब्ध हो रहा है। जिससे पशुपालकों के लिए महंगे दामों में चारा व आहार खरीदना मुश्किल हो रहा है। यही नहीं भीषण गर्मी व बारिश की कमी के चलते चारागाहों, जंगलों में चारा बिल्कुल भी नहीं है। बेसहारा पशु इधर उधर भटककर दम तोड़ रहे हैं।
अब कब होंगे शुरू, निकल रहा समय
सरकार की ओर से अकाल घोषित करने के बाद जनवरी-फरवरी माह में प्रस्ताव आमंत्रित किए जाते हैं। इसके बाद ग्राम पंचायतों अथवा ग्राम सेवा सहकारी समितियों की ओर से आवेदन कर दिए जाते हैं। जिस पर अप्रेल माह के शुरुआत में पशु शिविर शुरू किए जाते हैं, लेकिन इस बार अभी तक न तो स्वीकृति मिल पाई है, न ही आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। जबकि मई माह बीतने को है। ऐसे में अब शिविर कब शुरू होंगे, इसको लेकर पशुपालकों को चिंता सताने लगी है। फैक्ट फाइल:- - 32 लाख के करीब पशुधन हैै जिलेभर में
- 2 तहसील क्षेत्रों में अकाल किया गया है घोषित
- 1 लाख से अधिक पशुधन का शिविरों में होता है संरक्षण
भिजवाए गए हैं प्रस्ताव
क्षेत्र को अकालग्रस्त घोषित किया गया है। पशु शिविर व चारा डिपो शुरू करने के लिए प्रस्ताव तैयार कर उच्चाधिकारियों को भिजवाए गए है। स्वीकृति मिलने के बाद शिविर शुरू किए जाएंगे।