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जैसलमेर

जिम्मेदारों की आनाकानी, मरुगंगा के अंतिम छोर के किसानों के आंखों में पानी

-रामगढ़ पाइप माइनर को खुला माइनर बनाने की योजना अधरझूल में-आठ साल पहले जारी हुआ बजट, दो साल पहले निर्माण और अब सैकड़ों किसानों को इंतजार

जैसलमेरJun 14, 2021 / 09:03 am

Deepak Vyas

जिम्मेदारों की आनाकानी, मरुगंगा के अंतिम छोर के किसानों के आंखों में पानी

जिम्मेदारों की आनाकानी, मरुगंगा के अंतिम छोर के किसानों के आंखों में पानी

जैसलमेर/रामगढ. मरुगंगा नाम से विभूषित इंदिरा गांधी नहर के अन्तिम छोर सागरमल गोपा शाखा की बुर्जी 231 से निकले रामगढ़ पाइप माइनर को ओपन बनाने की स्वीकृति व बजट जारी होने के करीब आठ साल हो गए, लेकिन जिम्मेदारों की उदासीनता हजारों किसानों पर भारी पड़ रही हैं। माइनर को ओपन बनाने के लिए राज्य सरकार ने बजट स्वीकृत करने के बावजूद इसका निर्माण कार्य शुरू हुए दो साल से ऊपर हो गया, लेकिन 17 आरडी का यह माइनर अभी तक अधरझूल में है। हकीकत यह भी है कि जिम्मेदारों के इस कार्य को करवाने में रुचि नहीं लेने से उक्त माइनर के कई किसान नहर से पानी चोरी कर अपने खेतों में कृषि कार्य भी करने लगे हैं। माइनर को खुला माइनर बनाने के लिए नहर विभाग ने सर्वे कार्य आज से आठ साल पूर्व पूर्ण कर प्रभावित किसानों को जमीन खाली करने के नोटिस भी जारी किए थे। तब किसानों में आस बंधी कि अब हमारा माइनर बन ही जाएगा, लेकिन आठ वर्ष बीत जाने के बाद भी माइनर का काम अभी भी अधूरा ही है। पत्रिका पड़ताल में यह बात सामने आई है कि अधिकारियों व ठेकेदार के बीच तालमेल नहीं हो पाने से यह निराशाजनक स्थिति बन रही है। रामगढ़ माइनर की जमीन हार्डपेन है। इस जमीन की खुदाई मशीनों से भी नहीं हो रही है। अधिकारी पूरी खुदाई मांग रहे है। ठेकेदार ने असमर्थता जताई इस वजह से अधर में माइनर का काम अधरझूल में है। माइनर को ओपन बनाने के लिए जिस किसान की भी कृषि भूमि माइनर निर्माण में आती थी, उन सभी किसानों ने अपनी भूमि माइनर के निर्माण के लिए देने के लिए शपथ पत्र तक दे दिए, वही जमीन का मुआवजा भी सरकार की ओर से किसानों के खातों में दिया जा चुका है। नहर विभाग की ओर से एक प्रयोग के तहत बनाए गए रामगढ़ पाइप माइनर में वर्तमान में 12 चकों में से आधे में ही सिंचाई का पानी मुहैया करवाया जा रहा है।
हकीकत यह भी
-रामगढ़ पाइप माइनर में कुल 12 चकों में सम्पूर्ण आवंटन हो चुके हैं, वही पूरे माइनर में खेती होती हैं।
-माइनर में बने सब माइनर ए चक दो व चार के लिए, वहीं सब माइनर बी चक पांच व सात के लिए बनाया गया।
-निर्माण से आज तक इसके अन्तिम छोर तक पानी नहीं पहुंच पाया है।
-माइनर सीमेंट के पाइपों से बना होने के कारण यह जमीन के नीचे चल रहा है ।
-मुख्य नहर व अंतिम छोर के चक 12 में करीब 60 फुट का अन्तर है। यह माइनर साइफन विधि की तरह बनाया गया हैं ।
-अन्तिम छोर में यह पाइप करीब आठ दस फुट नीचे जमीन में दबा हुआ हैं ।
-मुख्य नहर में कचरा आने के कारण अन्तिम छोर में दो-तीन आरडी तक पूरा कचरे से बंद हुए कई साल हो गए।
-अंतिम छोर के चक 10, 11 व 12 के किसान पिछले कई साल से सिचाई से महरुम हो रहे हैं।
-12 चकों के इस माइनर में केवल पांच चकों में ही सिंचाई का पानी मिल रहा है।

अभी भी बना हुआ है इंतजार
पाइप माइनर के सब माइनर ए में आज दिन तक सिंचाई तो दूर की बात है, पीने का पानी नहीं मिल रहा है। इस माइनर के अन्तिम छोर तक पानी ले जाने के लिए किसानों ने अपने स्तर पर कई प्रयास किए लेकिन सफल नहीं हो सके। गत दो साल पूर्व इसके ओपन बनाने का काम शुरू किया गया, उस समय खुशी हुई थी, लेकिन आज भी रामगढ़ पाइप माइनर का किसान सिंचाई के पानी को तरस रहा है।
-भूपेन्द्रसिंह जाम अध्यक्ष, जल उपभोक्ता संगम प्रथम
महरुम हो रहे किसान
माइनर के सब माइनर ए व बी तो निर्माण से आज दिन तक अनुपयोगी ही है। करीब दो साल से अन्तिम के चक 10, 11व 12 भी पाइप लाइन चोक होने के कारण बंद होने से सैकड़ों किसान सिंचाई से महरूम हो रहे हैं। जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते कार्य अधरझूल में है।
– भंवरुराम, अध्यक्ष, जल उपभोक्ता संगम द्धितीय
करेंगे निस्तारण
ठेकेदार से बात की है। वह कुछ ही दिन में काम शुरू करेगा। फाल की खुदाई में कुछ परेशानी आ रही है, उसका भी निस्तारण किया जाएगा।
-शिव प्रकाश, सहायक अभियंता, इंदिरा गांधी नहर परियोजना खण्ड, रामगढ़

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