पूजन के बाद निकली झांकी
कस्बे के सोनारों का बास स्थित भूरालाल सोनी के आवास से शाम करीब ६ बजे नृसिंह भगवान की झांकी तैयार की गई। यजमान कालूराम सोनी ने अभिषेक व षोड्षोपचार विधि से पूजा-अर्चना की। इस मौके पर विष्णु सहस्त्रनाम व गीता के पुरुषसुक्त अध्याय का पाठ किया गया। उसके पश्चात् भगवान विष्णु के नृसिंह अवतार की झांकी निकाली गई। इस झांकी के आगे हिरण्यकश्यप उत्पात मचाते हुए चल रहे थे। नृसिंह भगवान के रूप में रामाकिशन शर्मा व भक्त शिरोमणी प्रहलाद के रूप में स्वरूप शर्मा शोभायात्रा के साथ चल रहे थे। सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने जयकारों के साथ शोभायात्रा में भाग लिया। यह झांकी सोनारों की गली, व्यास चौक, गणेश मंदिर, गणेश मार्केट, सदर बाजार से होते हुए चारभुजा मंदिर पहुंची।
हिरण्यकश्यप के वध के साथ कार्यक्रम संपन्न
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हिरण्यकश्यप के अत्याचारों से आमजन को मुक्ति दिलाने के लिए विष्णु भगवान ने नृसिंह अवतार लिया था। उन्होंने भक्त प्रहलाद की भक्ति से प्रसन्न होकर हिरण्यकश्यप का वध किया। इसी उपलक्ष्य पर प्रतिवर्ष नृसिंह चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। मंगलवार को भी यह पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। चारभुजा मंदिर की चौखट पर सूर्यास्त से पूर्व करीब सवा ७ बजे हिरण्यकश्यप का वध किया गया। वध कार्यक्रम के पश्चात् भक्त प्रहलाद की जय जयकार के साथ मंदिर में पुजारी के सानिध्य में आरती की गई और प्रसाद का वितरण किया गया।
जयकारोंं से धर्ममय हुई परमाणु नगरी
नृसिंह भगवान व भक्त प्रहलाद की झांकी का बाजार में लोगों ने गुलाल व अबीर डालकर स्वागत किया और नृसिंह भगवान व प्रहलाद के जयकारे लगाए गए। युवक युवतियां नाचते गाते झांकी में चल रहे थे। झांकी के दौरान बाजार में मेले जैसा माहौल हो गया। पूरा वातावरण गोविंद जय-जय, गोपाल जय-जय के नारों से गूंजायमान हो रहा था।