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जैसलमेर

लॉकडाउन : खुशकिस्मत घर में बैठे हैं, बाहरियों से पूछिए जुदाई का दर्द

– लॉकडाउन के बीच जैसलमेर के हालात, श्रमिकों की परेशानी- पैदल रवाना हो रहे सैकड़ों किलोमीटर के सफर पर

जैसलमेरMar 27, 2020 / 08:34 pm

Deepak Vyas

लॉकडाउन : खुशकिस्मत घर में बैठे हैं, बाहरियों से पूछिए जुदाई का दर्द

लॉकडाउन : खुशकिस्मत घर में बैठे हैं, बाहरियों से पूछिए जुदाई का दर्द

जैसलमेर. लॉकडाउन के कारण अधिकांश जैसलमेरवासी इन दिनों अपने घर पर हैं और कई लोग सरकारी एडवाइजरी की परवाह नहीं करते हुए सड़क पर उतर जाते हैं, जिन्हें पुलिसकर्मी रोकते-टोकते हैं। इस बीच जैसलमेर में सैकड़ों की तादाद में बाहरी राज्यों के मजदूर ऐसे हैं, जिन्हें अपने घर जाने की न तो इजाजत है न ही सुविधा। ऐसे कई लोग सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने घर जाने के लिए पैदल ही रवाना हो रहे हैं। जानकारी के अनुसार जैसलमेर मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्रों में होटलों, औद्योगिक इकाइयों से लेकर खेतों में जिले के ही ग्रामीण क्षेत्रों, बाहरी जिलों तथा अन्य राज्यों के लोग बड़ी तादाद में यहां फंसे हुए हैं। लॉकडाउन के चलते उनसे रोजगार छिन गया है और बेकार होने के बावजूद सार्वजनिक परिवहन के सारे साधन बंद हो जाने से वे अपने घरवालों से दूर रहने के लिए विवश हैं। शुक्रवार को जिला मुख्यालय से कई औद्योगिक कार्मिक उदयपुर के लिए पैदल यात्रा करते नजर आए। वहीं इसी तरह का नजारा नोख गांव क्षेत्र से भी दिखाई दिया। जानकारी के अनुसार जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में फसलों की कटाई के काम में अनेक बाहरी श्रमिक पहुंचे हुए हैं। जहां उनका कार्य खत्म हो गया, वहां संबंधित व्यक्ति ने मजदूरी देकर उन्हें रवाना कर दिया, अब श्रमिकों के सामने मुसीबत यह है कि वे पुन: जैसलमेर ही नहीं पहुंच पा रहे तो मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में स्थित अपने घर कैसे पहुंचें?
अनुमति के लिए लग रही कतार
इस बीच जैसलमेर मुख्यालय पर उपखंड अधिकारी कार्यालय के बाहर शुक्रवार को बड़ी संख्या में लोग अन्य शहर जाने की अनुमति प्राप्त करने के लिए खड़े नजर आए। उन्हें एक-एक कर अर्जी देने के लिए बुलाया जा रहा था। वहां बाहर खड़े स्थानीय बाशिंदों ने बताया बाप गांव में उनके नजदीकी रिश्तेदार की मौत हो गई है इसलिए उन्हें निजी वाहन से जाना है। उनके साथ आए व्यक्ति ने बताया तीन घंटे से यहां खड़े हैं। वहां कार्यालय के बाहर एक विदेशी महिला पर्यटक भी अनुमति के इंतजार में बैठी थी।

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