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जैसलमेर

राहत में पुलिस तंत्र: मार्च मतलब राहत का महीना, जैसलमेर जिले में घटे अपराध

-सड़क हादसे व चोरी के मामलों में पुलिस को राहत राहत

जैसलमेरApr 04, 2020 / 06:01 pm

Deepak Vyas

जैसलमेर. पाक सीमा से सटे सरहदी जैसलमेर जिले के बांशिंदों के लिए अच्छी खबर है। जिले में मार्च महीना अपराध के लिहाज से शांतिपूर्ण रहा है। सूत्रों के मुताबिक करीब ३८ हजार वर्ग किमी. व सूदूर ढाणियों में सघन रूप से बसी आबादी व थानों की दूरी के कारण पुलिस महकमें को आ रही दिक्कतों के बावजूद मार्च महीना अपराध के लिहाज से सुकून देने वाला रहा है। सूत्रों के मुताबिक मार्च महीने के दोनों पखवाड़ों में लूट की कोई बड़ी वारदात नहीं हुई है। मार्च के पहले पखवाड़े में अपहरण के दो मामले सामने आए, जबकि दूसरे पखवाड़े में कोई बड़ा मामला नहीं हुआ। इसी तरह चैन स्नेचिंग मार्च के दोनों पखवाड़ों में कोई मामला सामने नहीं आया। चोरी के लिए मार्च के पहले पखवाड़े में ७ व दूसरे पखवाड़े में तीन मामले सामने आए है। इसी तरह नकबजनी के तीन मामले पहले पखवाड़े में व १ मामला दूसरे पखवाड़े में घटित हुए है। महिला उत्पीडऩ के लिहाज से यह मामला शांतिपूर्ण रहा और कोई बड़ा मामला दर्ज नहीं किया है। सूत्र बताते हैं कि पहले पखवाड़े में ५ व दूसरे पखवाड़े में ३ सामने आए हैं। पुलिस महकमे के अधिकारी स्वीकारते हैं कि लॉक डाउन की वजह से लोगों की घरों से बाहर न निकलने की प्रवृत्ति से सुरक्षा में इजाफा हुआ है। ऐसे में चोरी, नकबजनी, चैन स्नेचिंग, लूट जैसी वारदाते एकदम से कम हो गई। सबसे बड़ी राहत सड़क हादसों में हुई है। सड़कों पर वाहनों का आवागमन नहीं होने से ऐसी स्थिति बनी हैं। हालांकि छुटमुट घरेलू झगड़े, शांति भंग जैसे मामले आ रहे हैं। वाहनों व नफरी सीमित होने और थानों की दूरी के साथ नहरी क्षेत्र में सघन रूप से छितराई हुई आबादी के कारण आए दिन सामने आ रहे मामलों में पुलिस को राहत मिली है।
थमे नहीं है आशंका के बादल
बाहर से आए सैकड़ों की संख्या में लोग यहां रोजगार से जुड़े हुए हैं। रोजी-रोटी की आस में बाहर से कई व्यक्ति यहां आए दिन आ रहे हैंं और रोजगार भी प्राप्त कर चुके हैं। चिंताजनक बात यह हैकि इनमें से कई लोगों का पुलिस सत्यापन नहीं है।
जैसलमेर में प्रतिबंध का भी बंधन
जैसलमेर जिले के आठ थाना क्षेत्रों के करीब साढ़े तीन सौ गांव आते हैं। एसडीएम, संबंधित थाना, पुलिस अधीक्षक व तहसीलदार से सत्यापन होने के बाद उस शख्स को प्रतिबंधित थाना क्षेत्र में जाने की अनुमति मिलती है, जो अधिकतम 15 दिन तक के लिए होती है। अवधि बढ़ाने पर फिर अनुमति लेनी पड़ती है। क्रिमीनल संशोधन एक्ट १९९६ के तहत अधिसूचित थाना क्षेत्रों में किसी भी बाहरी व्यक्ति के प्रवेश के लिए अनुमति लेना अनिवार्य है। जैसमलेर में २००८ में बोर्डर को बेचने के मामले के बाद इस कानून को सख्त किया गया है। बिना परमिशन मिलने पर व्यक्ति के खिलाफ पुलिस कार्रवाई कर सकती है।

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