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जैसलमेर

जैसलमेर मुख्यालय पर अस्पताल से लेकर बाजारों तक लापरवाही हावी

-लगातार बढ़ रहे संक्रमण के बावजूद सतर्कता और सख्ती गायब

जैसलमेरSep 21, 2020 / 12:33 pm

Deepak Vyas

जैसलमेर मुख्यालय पर अस्पताल से लेकर बाजारों तक लापरवाही हावी

जैसलमेर मुख्यालय पर अस्पताल से लेकर बाजारों तक लापरवाही हावी

जैसलमेर. सीमांत जैसलमेर में कोरोना संक्रमण लगातार बढऩे के साथ भयावह रूप भी अख्तियार कर चुका है। करीब सवा सात सौ संक्रमितों के साथ एक दर्जन लोगों की मौत का आंकड़ा पूरा हो चुका है। जितने लोग कोविड.19 की जांच करवाकर कोविड केयर सेंटर्स और घरों में रहकर इलाज करवा रहे हैं, उससे कहीं अधिक लोग बिना जांच करवाए घरों में आइसोलेट रहकर उपचार ले रहे हैं। कई गंभीर रोगी जोधपुर जाकर इलाज करवा रहे हैं। इसके बावजूद कोरोना से बचाव के लिए दुनिया भर में जरूरी मानी जा रही मास्क और दो गज की दूरी की गाइडलाइन की पालना को लेकर आमजन अब भी लापरवाही ज्यादा दर्शा रहे हैं। सरकार की ओर से राजस्थान भर में ‘नो मास्क, नो एंट्रीÓ का नारा दिया गया है, लेकिन जैसलमेर मुख्यालय पर सबसे बड़े सरकारी अस्पताल जवाहर चिकित्सालय से लेकर बाजारों में इस पर अमल करने से लोग कतराते नजर आते हैं।
यहां स्थितियां बेहद गंभीर
जैसलमेर के जवाहर चिकित्सालय का पत्रिका टीम ने जायजा लिया तो स्थितियां निराशाजनक देखने को मिली। कई महिलाएं-पुरुष बिना मास्क कोरोना काल से पहले वाले सामान्य दिनों की भांति अस्पताल परिसर में टहलते नजर आए। और तो और कुछ के साथ छोटे बच्चे भी बिना मास्क नजर आए। जबकि जवाहर चिकित्सालय में प्रवेश स्थल पर ही कोरोना जांच होती है। जहां प्रतिदिन सौ.डेढ़ सौ संदिग्ध कोविड रोगी पहुंचते हैं। खतरनाक बात यह है कि अस्पताल में बिना मास्क घूमते लोगों पर जुर्माना लगाना तो दूर उन्हें ऐसा नहीं करने को लेकर टोकने की भी कोई व्यवस्था नहीं है। यही दशा गड़ीसर प्रोल से लेकर हनुमान चैराहा तक के शहर के मुख्य बाजारों व मार्गों पर नजर आई। अधिकांश दुकानदारों ने भी अपने ग्राहकों के लिए मास्क पहनना अनिवार्य नहीं किया है। वे स्वयं भी कायदे से मास्क पहने हुए कम ही दिखते हैं।
प्रशासनिक सख्ती गायब
जैसलमेर जैसे महज पांच किलोमीटर के दायरे में फैले शहर में भी मास्क व सोशल डिस्टेंसिंग की पालना नहीं करने वालों पर प्रशासन तथा पुलिस सख्ती नहीं दिखा पा रही है। लॉकडाउन के दौरान हर कहीं नजर आने वाली पुलिस अनलॉक में ज्यादा जिम्मेदारी वाले समय में प्राय: अदृश्य रहती है। यदा.कदा किसी स्थान विशेष पर खड़े होकर पुलिसकर्मी कुछ जनों के चालान करने की रस्म अदायगी ही कर रहे हैं। शुरुआती दिनों में जैसलमेर नगरपरिषद का दल भी गाइडलाइन की पालना नहीं करने वाले लोगों पर जुर्माना करता थाए वह व्यवस्था भी अब नदारद हो गई है। सरकारी तंत्र की सख्ती का भय नहीं रहने से लोग अपने साथ दूसरों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। जन जागरण के जैसे उपाय वांछित थेए वे भी कहीं नजर नहीं आते। गैरसरकारी संस्थाओं का सहयोग भी प्रशासन जुटा नहीं पाया है।
बन रहे हॉट स्पॉट
जिला मुख्यालय पर पिछले अर्से के दौरान रामनगर कॉलोनी कोरोना संक्रमण का हॉट स्पॉट बन चुका है। दसियों मामले इस क्षेत्र से आ चुके हैं। पूर्व में गांधी कॉलोनी के कोने.कोने से भी ऐसे ही संक्रमित पाए गए थे। शहर के साथ दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों में भी कोरोना की पहुंच बनती जा रही है, जबकि जैसलमेर सबसे कम आबादी घनत्व वाला जिला है। वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों में सरपंचों और वार्ड पंचों के चुनाव की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। जानकारों के अनुसार यदि लापरवाही का यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना बम फूटने की आशंकाओं से इनकार नहीं किया जा सकता।

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