अब ‘जैविक बकरियां’ भी बेचेगा पशु अनुसंधान केन्द्र
-अन्य बकरियों से जुदा है शरीर व स्वास्थ्य -थारपारकर गाय पर अनुसंधान के बाद नवाचार
अब ‘जैविक बकरियां’ भी बेचेगा पशु अनुसंधान केन्द्र
जैसलमेर/चांधन. सरहदी जैसलमेर जिले में थारपारकर जैसी उत्तम नस्ल की गाय पर अनुसंधान करने के लिए ख्याति अर्जित कर चुका चांधन पशु अनुसंधान केन्द्र अब जैविक बकरियों को बेचने की कवायद करेगा। तीन वर्ष पहले मारवाड़ी क्षेत्र की बकरियों को जैविक वातावरण में पालन-पोषण करने के बाद इनकी प्रकृति अन्य बकरियों से जुदा दिखाई दे रही है। तक संख्या में इनकी संख्या भी अधिक हो चुकी है। ऐसे में इन विशेष मानी जाने वाली बकरियों को बेचने की कवायद की जाएगी।
अनुसंधान केन्द्र नवाचार के तौर पर बकरी पालन भी कर रहा है। अनुसंधान केन्द्र पर मारवाड़ी नस्ल की बकरियों का पालन पोषण किया जा रहा है। आर्गेनिक वातावरण में पल रही इन बकरियों से केन्द्र की आय बढ़ाने के लिए यह कवायद की गई है। वर्ष 2017 में शुरू किए प्रोजेक्ट से अब केन्द्र में बकरियों की संख्या तय मानकों से भी अधिक हो गई है।
केन्द्र के प्रभारी राहुलपालसिंह बताते हैं कि विश्व विद्यालय ने बकरियों की संख्या दुगनी करने का लक्ष्य दिया था। लोन बेसिस पर शुरू की गई परियोजना में चार वर्ष में इन बकरियों की मूल धन राशि को विश्वविद्यालय को लौटाना था। विश्वविद्यालय की ओर से दिए गए लक्ष्य को पूरा करते हुए केन्द्र ने साठ प्रतिशत राशि तीन वर्ष मे विश्व विद्यालय को लौटाई जा चुकी है। अब 50 की संख्या से बढ़ कर केन्द्र में वर्तमान में बकरियों की संख्या 270 हो चुकी है। इन बकरियों का पालन पोषण किया जा रहा है। करीब 5 लाख रुपए की आय विश्वविद्यालय में जमा कराई जा चुकी है।
…ताकि बढ़ सके जैविक चारे पर विकसित बकरियों की संख्या
परियोजना के तहत जैविक चारे पर विकसित बकरियों की संख्या बढ़ाना है। जैविक रूप से बढ़ रही इन बकरियों का दूध मांगने पर दवाई वगैरह के लिए बेचा जाएगा। इसके अलावा लोगों को जैविक बकरे का मीट भी इस परियोजना के तहत मिल सकेगा। विशेषज्ञों की मानें तो जैविक मीट न केवल स्वास्थ्यवर्धक होगा, बल्कि रोग प्रतिरोधक भी हो सकेगा। अनुसंधान केन्द्र ने जैविक प्रमाण पत्र के लिए आवेदन भी कर लिया है। विशेषज्ञों के मुताबिक चांधन के थारपारकर फार्म में पल रही इन बकरियों का शरीर आम बकरियों की तुलना में काफी जुदा है, इसके साथ ही इनका स्वास्थ्य भी आम बकरियों से एकदम अलग ही नजर आता है। इन दिनों ये जैविक बकरियां पूरी तरह से वैज्ञानिक तरीके से और स्वस्थ वातावरण में पल रही है। अनुसंधान केन्द्र में ये बकरियां इन दिनों आकर्षण का केन्द्र भी बनी हुई है।
पशुओं के अनुसंधान व संरक्षण का जिम्मा
वर्ष 1964 में जैसलमेर जिले के चांधन कस्बे में चांधन पशु अनुसंधान केन्द्र का आगाज किया गया था। सबसे बड़ी बात यह है कि यह अनुसंधान केन्द्र चारा उत्पादन और पशु अनुसंधान के लिहाज से समूचे प्रदेश में अलग ही महत्व रखता है। चारागाहों से चारा पैदा कर ये केन्द्र उत्तम श्रेणी की गायें और दुग्ध उत्पादन कर रहा है। यहां की गायों की मांग देश भर में रहती है। अनुसंधान केन्द्र में सफेद रंग और बड़े ललाट वाली गायें भी अलग ही दिखाई देती है। वर्तमान में 308 थारपारकर नस्ल के पशुओं का संरक्षण व पालन-पोषण किया जा रहा है।
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