सोनार किले के बाशिंदे प्यासे,नहीं हो रही सुनवाई
ऐतिहासिक सोनार दुर्ग में शुरू की गई नई वितरण व्यवस्था से यहां रहने वाले लोग बेहाल है। लंबे समय तक अपनी पीड़ा जिम्मेदारों को बताने के बावजूद अभी तक समस्या का समाधान नहीं हो पाया है।
सोनार किले के बाशिंदे प्यासे,नहीं हो रही सुनवाई
जैसलमेर. ऐतिहासिक सोनार दुर्ग में शुरू की गई नई वितरण व्यवस्था से यहां रहने वाले लोग बेहाल है। लंबे समय तक अपनी पीड़ा जिम्मेदारों को बताने के बावजूद अभी तक समस्या का समाधान नहीं हो पाया है। गौरतलब है कि 500 परिवारों के इस वार्ड में 50 से अधिक होटल भी संचालित हो रहे हैं। त्रिकूट पहाड़ी पर बना ऐतिहासिक दुर्ग विश्व धरोहरों की फेहरिस्त में शामिल है। दुर्ग की बनावट व बसावट इस तरह की है कि यहां पानी के टैंकर व टंकियां नई मंगवाई जा सकती। ऐसे में पानी की निर्भरता केवल जलापूर्ति पर ही है। एक दिन छोडक़र एक दिन पानी की आपूर्ति हो रही है, लेकिन वह भी चंद मिनटों तक। ऐसे में दुर्गवासियों को अपर्याप्त जलापूर्ति से बेहद परेशानी झेलनी पड़ रही है। इस संबंध में दुर्ग के बाश्ंिादों ने पेयजल संकट की समस्या को लेकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया। ज्ञापन में बताया कि जनस्वास्थ्य विभाग, नगर परिषद और जिला प्रशासन ने शहर में नई पेयजल वितरण व्यवस्था शुरू की है। जिसके अनुसार दुर्ग में प्रतिदिन पानी की आपूर्ति बंद कर दी है। इससे निवासियों को भारी पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है। दुर्ग के अधिकांश घरों में पेयजल भंडारण की माकूल व्यवस्था नहीं है और न ही दुर्ग में अन्य किसी साधन से पेयजल प्राप्त किया जा सकता है। पहले प्रतिदिन पेयजल सप्लाई की जाती थी, लेकिन अब इसको बंद कर दिया है। वर्तमान में अब एक दिन छोड़ एक दिन में एक बार पानी सप्लाई किया जाता है। जिसकी अवधि केवल 30 मिनट होती है। इस दौरान प्रेशर बिल्कुल नहीं होता। यही कारण है कि सोनार दुर्ग के बाशिंदो को पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है। दुर्गवासी बताते हैं कि केबिनेट व जिला प्रभारी मंत्री बीडी कल्ला ने गत 6 जून को जिला स्तरीय बैठक में निर्देश दिया था कि दुर्ग में प्रतिदिन पेयजल आपूर्ति की जानी चाहिए, लेकिन उनके आदेशों की अनुपालना नहीं की गई। केबिनेट मंत्री सालेह मोहम्मद को भी जनसुनवाई के दौरान इस समस्या से अवगत कराया गया था। बावजूद इसके स्थिति जस की तस बनी हुई है।
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