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जैसलमेर

300 टन खजूर से वंचित रहेंगे रोजेदार! अभी करना होगा इंतजार…

-6 सालों से सगरा-भोजका के 14 हजार पौधों से हो रहा उत्पादन- सऊदी अरब की किस्म का इजरायली तकनीक से रेगिस्तान में पैदावार

जैसलमेरMay 26, 2019 / 09:45 am

Deepak Vyas

jaisalmer

300 टन खजूर से वंचित रहेंगे रोजेदार! अभी करना होगा इंतजार…

जैसलमेर. रमजान के महीने में पश्चिमी सरहदी के रोजेदार इस बार इजरायली तकनीक और सऊदी अरब की किस्म से तैयार खजूर का स्वाद नहीं चख पाएंगे। रमजान का महीना गत वर्ष की तुलना में पहले होने और खजूर की किस्म को पनपने में जलवायु से संबधित कारणों से यह स्थिति बनी है। इस बार भी ईदुल फितर के पर्व पर जैसलमेर की खजूर की मिठास रोजेदारों की जुबान पर तो होगी, लेकिन वह नई पैदावार नहीं होगी। जैसलमेर के साथ राजस्थान के पश्चिमी जिलों के रोजेदारों को इस बार इस सीजन की खजूर का स्वाद चखने के लिए इंतजार करना पड़ेगा। इजरायल पद्धति से तैयार खजूर जून के अंत तक ही बाजार में पहुंच सकेगा। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार खजूर के पकाव के बाद ‘पिण्ड’ की स्थिति ही खाने योग्य रहती है, जिसका बाजार मूल्य 200 से 300 किलो तक रहता है। नई सीजन में यह खजूर अभी पकाव की स्थिति तक नहीं पहुंच पाई है। गत सीजन की ‘पिण्ड’ की स्थिति में पहुंची खजूर राजमथाई और आलमपुर में उपलब्ध हो सकेगी।
14 हजार से अधिक पौधों पर उत्पादन
जैसलमेर से 45 किलोमीटर दूर सगरा-भोजका क्षेत्र में बने सरकारी उद्यान में खूजर के कुल 15, 168 पौधे वर्तमान में सजीव अवस्था में हैंं, जिनमें करीब 14 हजार पौधों पर खजूर का उत्पादन हो रहा है। एक पौधा अधिकतम 80 से 100 किलो खजूर का उत्पादन अधिकतम दे सकता है। पनपने के बाद जैसलमेर से करीब 300 टन खजूर प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी अपनी मिठास बिखेर सकेगी। सरकारी उद्यान जैसलमेर में वर्ष 2014 से खजूर का उत्पादन ले रहा है। इस साल पांचवे साल खजूर का उत्पादन बाजार में बिक्री के लिए पहुंचने को तैयार है।
फैक्ट फाइल
– 14 हजार पौधों से हो रहा इजरायली पद्धति से सउदी अरब की खजूर का उत्पादन
– 100 हेक्टेयर क्षेत्र में सगरा-भोजका के सरकारी उद्यान में हो रही पैदावार
-15,168 कुल खजूर के पौधे मौजूद है सरकारी उद्यान में
– 300 टन खजूर का उत्पादन इस सीजन में होने का अनुमान
अभी करना होगा इंतजार
खजूर अभी पकाव की स्थिति में नहीं है। खाने योग्य पिण्ड किस्म तक पहुंचने में अभी एक माह और लगेगा। जलवायु कारणों का असर खजूर के उत्पादन पर भी पड़ता है। खजूर की मिठास के लिए अभी इंतजार करना होगा।
-दुर्गालाल मोर्य, उप निदेशक, खजूर फार्म, सगरा-भोजका, जैसलमेर

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