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जैसलमेर

जियो टूरिज्म की उम्मीदें जिन्दा हों तो खुले जैसलमेर के भू-गर्भ के राज

विश्व पर्यटन मानचित्र के तौर पर विश्व स्तरीय पहचान बनाने के बाद जैसलमेर में भू-गर्भ में कुदरत के कई रहस्यों को समेटे जैसलमेर में ‘जियो टूरिज्म’ को मूर्त रूप नहीं मिल पाया है। चाहे जिम्मेदारों की शिथिलता हो या अवैध खनन का दौर। कारण चाहे जो भी हो बॉर्डर ट्यूरिज्म, इको टूरिज्म की तरह जियो टूरिज्म अभी तक सरहदी जिले की पहचान नहीं बन पाया है।

जैसलमेरOct 13, 2019 / 11:29 am

Deepak Vyas

secret of Earth womb of jaisalmer open after development of Geotourism

जियो टूरिज्म की उम्मीदें जिन्दा हों तो खुले जैसलमेर के भू-गर्भ के राज

जैसलमेर. विश्व पर्यटन मानचित्र के तौर पर विश्व स्तरीय पहचान बनाने के बाद जैसलमेर में भू-गर्भ में कुदरत के कई रहस्यों को समेटे जैसलमेर में ‘जियो टूरिज्म’ को मूर्त रूप नहीं मिल पाया है। चाहे जिम्मेदारों की शिथिलता हो या अवैध खनन का दौर। कारण चाहे जो भी हो बॉर्डर ट्यूरिज्म, इको टूरिज्म की तरह जियो टूरिज्म अभी तक सरहदी जिले की पहचान नहीं बन पाया है। वर्ष 2014 में विश्व भर के वैज्ञानिकों ने तीन दिन तक जैसलमेर जिले के आसपास के क्षेत्र में मीजोजोइक काल के जुरासिक पीरियड में डायनोसोर के विकास व विनाश के कारणों पर शोध किया था। जुरासिक पीरियड पर शोध करने के लिए डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, पोलेंड, इंंग्लेंड, रुस, फ्लोकिया सहित अन्य देशों के करीब 34 वैज्ञानिकों ने डायनोसोर के उत्पति व विनाश से संबंधित कारणों व भूगर्भ में मौजूद प्राकृतिक स्रोतों की संभावनाओं पर भी अनुसंधान किया था। इसके बाद जैसलमेर में भी ‘जियो टूरिज्म’ की संभावनाओं को बल मिला था, लेकिन अभी तक इंतजार केवल इंतजार ही बना हुआ है। हालांकि इस अवधि में इको टूरिज्म विकसित हो चुका है।
मरु-धरा में संभावनाएं
भू-वैज्ञानिकों के अनुसार जैसलमेर का आस-पास का क्षेत्र भू-विज्ञान कालक्रम के मीजोजोइक काल के जुरासिक पीरियड में बना हुआ है। यही वह समय था जब धरती पर जीवन का सर्वाधिक विकास शुरू हुआ। शुरूआती शोध में जैसलमेर जिले में डायनोसोर प्रजाति के फॉसिल्स मिलने से यह स्थान अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों के अन्वेषण कार्य के लिए निगाहों में आ गया।

भू-वैज्ञानिकों की शोध में रुचि के बिन्दु
-भू-वैज्ञानिक कालक्रम के जुरासिक पीरियड का अध्ययन।
-साउथ टेथिस समुद्र के नष्ट होने के प्रभावी कारण कौनसे रहे?
-पृथ्वी पर बड़े रेप्टाइल्स की मौजूदगी व लुप्तता के उत्तरदायी कारण क्या थे ?
-समुद्र की गहराई कैसे घटी और किन कारणों से पानी का स्तर घटा ?
-जीवाश्मों के संरक्षण को लेकर भी चिंता।
– भू-गर्भ में मौजूद प्राकृतिक स्रोत जैसे गैस, तेल आदि की संभावनाओं पर भी शोध।
-मीजोजाइक के जुरासिक काल में वह क्या कारण रहा, जिससे विशालकाय डायनोसोर प्रजाति का आस्तित्व ही मिट गया ?
जियो टूरिज्म के लिहाज से उपयोगी क्षेत्र
-खाभा, थईयात, शहर में सर्किट हाऊस के पीछे व व्यास छतरी के समीप पहाड़ी, कालेडूंगराय क्षेत्र, काहला, कुलधरा, जाजिया, खाभा क्षेत्र बड़ाबाग, रुपसी, भदासर, तेजुआ व लौद्रवा क्षेत्र ।
यह होगा फायदा
-पर्यटन में नए क्षेत्र का सूत्रपात होने की उम्मीद
-कई नए क्षेत्रो को मिल सकेगी पहचान
-ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटन की उम्मीदों को लगेंगे पंख
-थईयात जैसे गांवों को मिल सकेगी अंतरराष्ट्रीय पहचान
तथ्य जो शोध में हो चुके उजागर
-भू-वैज्ञानिक कालक्रम के क्रिमिडियन काल 6150 मिलियन साल के बाद समुद्र पीछे जाना शुरु हुआ था तथा नदियों का बहना शुरू हुआ।

-जुरासिक समुद्र यहां 18 0 मिलीयन वर्ष पूर्व रहा होगा। इसके तटीय इलाकों में डायनोसोर जैसे रेप्टाइल्स की संख्या बहुतायत में रहती थी।
– थईयात के पास अध्ययन के दौरान स्लोवाकिया विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. इयान स्लोगील ने डायनोसोर के फुट प्रिंट्स रिपोर्ट किए।
-पोलेंड के वैज्ञानिक डॉ. पीनोकोवस्की ने इस डायनोसोर के बारे बताया था कि गैरालेटर प्रजाति के ये डायनोसोर मुर्गी जितने बड़े रहे होंगे।
–पत्थरों से जैसलमेर बेसिन मे जमा हुए अलग-अलग कालक्रम के पत्थरों के समय काल को समझने मे आसानी होती है।
-फिल्ड विजिट के परिणामों के बारे मे वैज्ञानिकों का मानना था कि जैसलमेर बेसिन मे स्थित समुद्र कुलधरा गांव के आसपास सर्वाधिक गहरा था।
-इसके कारण यहां कई तरह के समुद्री जीवों के जीवाश्म मिलते है।
संभावनाएं अपार
जैसलमेर में जियो टूरिज्म की प्रबल संभावनाएं है, लेकिन हकीकत यह है कि अब तक इस लिहाज से जैसलमेर को उभारा नहीं जा सका है। भू-विज्ञान के लिहाज से सरहदी जिला विश्व स्तर पर महत्वपूर्ण जगह बना चुका है।
-डॉ. एनडी इणखिया, प्रभारी भू-जल

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