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जैसलमेर

जोधपुर जेल से पैरोल पर निकले 28 कैदियों ने कर दिया ये कांड, पुलिस ने दिया हैरान करने वाला बयान

जोधपुर सेंट्रल जेल से 28 कैदियों ने पैरोल पर निकल कुछ एेसा कारनामा कर दिया जो हैरान कर देने वाला है। इससे भी बड़ी हैरानी की बात ये है कि इस कांड के बाद पुलिस कह रही है कि इनके पीछे भागना मुश्किल है। और आश्चर्य में पडऩा चाहते हैं तो सुनें कि ये सारे मुकदमे एक ही थाने के हैं।

जैसलमेरMay 31, 2017 / 11:35 am

Nidhi Mishra

prisoners escaped

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पिछले दस साल में जोधपुर सेंट्रल जेल से 28 कैदी पैरोल से फरार हो गए, इनका कोई अता-पता नहीं है। जेल प्रशासन ने इनकी फरारी पर पुलिस थाने में मुकदमे भी दर्ज करवा दिए, लेकिन पुलिस इन्हें पकडऩे के बजाय खुद के दुखड़े में उलझी हुई है। पुलिस का कहना है कि जो कैदी भागे हैं, वे राज्य भर के इलाकों से हैं, एेसे में इनके पीछे-पीछे भागना मुश्किल है। इधर, पैरोल पर भागे बंदियों को पकडऩे के लिए अब जेल प्रशासन लगातार पुलिस पर दबाव बना रहा है। पुलिस के लिए ये फरार कैदी सिरदर्द बन गए हैं।
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सारे मुकदमे एक ही थाने में, पुलिस भी परेशान

जोधपुर सेंट्रल जेल प्रशासन की माने तो वर्ष 2007 से अब तक 28 कैदी एेसे हंै जो पैरोल से वापस जेल नहीं आए। सेंट्रल जेल का एरिया रातानाडा पुलिस थाना क्षेत्र में आता है। एेसे में पैरोल अवधि पूरी होने के बाद जब कैदी नहीं लौटे तो जेल प्रशासन ने ये सभी मुकदमे रातानाडा थाने में मुकदमे दर्ज करवा दिए। रातानाडा थाना पुलिस इन मुकदमों से मुसीबत में है। जो कैदी फरार चल रहे हैं, वे राज्य के विभिन्न जिलों में हैं। पुलिस के लिए सभी कैदियों के लिए एक साथ इतनी जगहों पर दल भेजना मुश्किल है। एेसे में ये पकड़ में नहीं आ रहे हैं।
15 कैदी ओपन कैंप व अंतरिम जमानत से भागे

जेल प्रशासन की माने तो पिछले दस साल में 28 कैदी पैरोल से भागे, जबकि 15 कैदी एेसे हैं जो ओपन कैंप व अंतरिम जमानत लेकर गए और वापस नहीं लौटे। इनके भी मुकदमे दर्ज करवा लिए गए हैं, लेकिन ये कैदी भी नहीं मिले। वर्ष 2015 के बाद 6 कैदी पैरोल से भागे हैं। अब जेल प्रशासन ने इन सभी को तलाशने के लिए फिर से पुलिस को लिखा है। 
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पड़ोसियों को कहकर आ जाती है पुलिस

आमतौर पर पुलिस का एक दल सम्बंधित कैदी के घर जाता है, लेकिन वह घर पर नहीं मिलता। एेसे में पुलिस उस कैदी के निवास के आस-पास किसी पड़ोसी को मुखबिर को तौर पर कहकर आ जाती है। वैसे पुलिस होली-दिवाली जैसे त्योहार पर इनके घर पर जरूर दबिश देती है। क्योंकि त्योहार पर अधिकांश कैदी घर पर आते है। फिलहाल रातानाडा थाना पुलिस क खाते में 43 कैदी फरार चल रहे हैं।
कमेटी तय करती है पैरोल

कैदियों को पैरोल एक चौथाई सजा पूरी होने के बाद मिल सकती है। पैरोल के सम्बंध में जिला स्तर पर कमेटी बनी हुई है। जिसमें जिला कलक्टर, पुलिस अधीक्षक, समाज कल्याण विभाग के अधिकारी व जेल अधीक्षक शामिल होता है। यह कमेटी तय करती है कि किस कैदी को पैरोल देनी है। 
क्या करें, घर पर नहीं मिलते कैदी

पैरोल से फरार कैदियों को तलाशने के लिए दल भी भेजते है, लेकिन कैदी घर पर तो मिलते नहीं है। सारे मुकदमे हमारे थाने में ही दर्ज है। कैदी विभिन्न इलाकों के है, एेसे में तलाशना और भी मुश्किल हो जाता है। बावजूद इसके फरार कैदियों को तलाशने का काम तेज किया जाएगा। – रमेश कुमार, थानाधिकारी, रातानाडा, जोधपुर पुलिस कमिश्नरेट सभी मुकदमे दर्ज
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पिछले दस साल में पैरोल से 28 व अन्य मामलों में 15 कैदी फरार हुए। इनके सम्बंध में मुकदमे रातानाडा थाने में दर्ज करवा दिए। पुलिस को समय-समय पर इस सम्बंध में लिखा जाता है। – विक्रम सिंह, जेल अधीक्षक, जोधपुर सेंट्रल जेल।

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