-टैक्टर,तवी, थ्रेशर, सीडडील मशीन, हेरो, कलटी, टैक्टर चलित पौध संरक्षण यंत्र आदि यंत्र खरीद कर कृषि करने वाले किसानो को किराए पर देने का प्रावधान है।
-किसान को आसानी से उपकरण उपलब्ध हो सके, इसके लिए सरकार की ओर से यंत्रो की लागत मूल्य पर ४० प्रतिशत का अनुदान देने का प्रावधान बनाया गया है।
-आवेदक किसान को अपने नाम से किसी बैक मे ऋण के लिए आवेदन करना होगा।
-बैंक की ओर से ऋण स्वीकृत करने के बाद कृषि यंत्र खरदीकर वह किसी भी कृषक के यहां यंत्र किराए पर चला सकेगा।
-इस दौरान यंत्र मालिक को इसकी लॉक बुक का संधारण रखना होगा, जिसे बाद मे कृषि विभाग की ओर से सत्यापित किया जाएगा।
-चार साल बाद अनुदान की ४० प्रतिशत की अनुदान राशि कृषक के खाते मे जमा हो जाएगी।
कृषि यंत्रों को किराए पर लेने की योजना उपखंड मे कारगर साबित इसलिए नहीं हो पा रही है कि कृषि विभाग की ओर से जिन यंत्रो व उपकरणो की खरीद कर किराए पर देने की योजना पर अनुदान दिया जा रहा है। वह संसाधन लगभग हर किसान के पास अपने स्वंय का उपलब्ध है। ऐसे मे कोई किसान इस योजना मे रूचि नहीं ले रहा है। योजना के शुरू हुए साल बाद भी पूरे उपखंड में एक मात्र किसान ने इस योजना मे आवेदन किया है।
-राजमथाई,बांधेवा, पदरोडा,झाबरा, लाठी, एका, छायण, लोहारकी, गोमट, पोकरण, सादा,आसकंदरा, अजासर, सहित आस पास के भाखरी गांव मे क रीब 2 हजार से भी ज्यादा नलकूप है।
-उपखंड मुख्यालय पर सहायक कृषि अधिकारी व अन्य कृषि कर्मचारियों की कमी के कारण क्षेत्र के किसानों का कृषि विस्तार योजनाओं की समय पर जानकारी नहीं मिलने से उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
-सहायक कृषि अधिकारी का पद पिछले दस वर्षों से रिक्त है और १९ कृषि पर्यवेक्षकों के स्वीकृत पदों मे से आधे से भी ज्यादा पद लंबे समय से खाली है।
-उपखंड मुख्यालय पर कृषि विभाग का कार्यालय तो है, लेकिन अधिकारी के नहीं होने व स्टॉफ की कमी के चलते सप्ताह मे एक दिन गुरूवार को ही खुला मिलता है।
दे रहे जानकारी
विभाग की ओर से चलाई जा रही कृषि यंत्रों पर अनुदान योजना की जानकारी किसानों को दी जा रही है तथा उन्हे प्रोत्साहित कर ज्यादा से ज्यादा लाभान्वित करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से बताया जा रहा है।
-मदनसिंह चंपावत, कृषि पर्यवेक्षक, पोकरण