scriptJAISALMER DESERT FESTIVAL- सुनहरी नगरी में झलकी मरुधरा की लोक संस्कृति, चहुंओर छाई इन्द्रधनुषी रंगों की छटा | The folk culture of Marudhara in the golden city the shade of rainbo | Patrika News
जैसलमेर

JAISALMER DESERT FESTIVAL- सुनहरी नगरी में झलकी मरुधरा की लोक संस्कृति, चहुंओर छाई इन्द्रधनुषी रंगों की छटा

-जैसलमेर में बहुरंगी शोभायात्रा के साथ तीन दिवसीय मरु महोत्सव का आगाज -पहली बार मरु महोत्सव के शुरूआत में योग एवं प्राणायाम का आयोजन

जैसलमेरJan 30, 2018 / 02:48 pm

jitendra changani

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जैसलमेर . मरु संस्कृति के इन्द्रधनुषी लोक रंगों और माधुर्य सिक्त रसों का दिग्दर्शन कराती शोभायात्रा को देखने सोमवार को शहर में जन ज्वार उमड़ आया। मार्ग में शोभायात्रा का जोश-खरोश के साथ स्वागत किया गया। देश के विभिन्न हिस्सों से आए कलाकारों के समूहों ने शोभायात्रा के पूरे मार्ग में अपनी प्रस्तुतियां दिखाते हुए भारतवर्ष की वैविध्यपूर्ण लोक सांस्कृतिक धाराओं से रू-ब-रू कराया। मौका था अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त तीन दिवसीय मरु महोत्सव के तहत निकाली गई शोभा यात्रा का। सोमवार को मार्ग के दोनों ओर बाशिंदों ने खड़े होकर शोभायात्रा को देखा। अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त तीन दिवसीय 39वां मरु महोत्सव 2018 के दौरान निकाली गई शोभायात्रा का। शोभायात्रा में मूमल-महेन्द्रा के प्रतिभागी ऊंटों पर बैठे बहुत सुंदर लग रहे थे। यह शोभायात्रा गड़ीसर सरोवर से प्रारंभ होती हुई आसनी रोड, सालमसिंह की हवेली, गोपा चौक, जिन्दानी चौक, गांधी चौक, हनुमान चौराहा होती हुई शहीद पूनमसिंह स्टेडियम पहुँच कर समारोह में परिवर्तित हो गई। लगभग डेढ़ किलोमीटर की यात्रा तय करके पूनम सिंह स्टेडियम पंहुच गई। जहां पर वे मंच के आगे लोक नृत्य करते हुए गुजरे। शोभायात्रा में पारम्परिक वेशभूषा, आंचलिक संस्कृति, लोकजीवन, लोकवाद्यों, गीत-नृत्यों, मूमल-महेन्द्रा झांकियों के समावेश ने यादगार छाप छोड़ी। शोभायात्रा में रंग बिरंगी पोशाकों में स्थानीय लोक कलाकर अपने लोक वाद्यों के माध्यम से राजस्थानी गीतों को प्रस्तुत कर पूरे मार्ग को सांस्कृतिक रंगों से सराबोर-सा कर दिया। शोभायात्रा में लालआंगी गैर के लोक कलाकारों ने जगह-जगह पर गैर नृत्य प्रस्तुत किया। बहुुरंगी शोभायात्रा में अच्छी संख्या में विदेशी सैलानी शामिल हुए एवं उन्होंने इस मरु महोत्सव की शोभायात्रा से की गई।
गड़ीसर तालाब से हुआ आगाज
जैसलमेर के पवित्र गड़ीसर सरोवर से शोभायात्रा शुरू की गई। जिला कलक्टर कैलाशचन्द मीना व जैसलमेर विधायक छोटूसिंह भाटी ने हरी झंडी दिखाकर शोभायात्रा को रवाना किया। इससे पूर्व पहली बार भारत माता के पोस्टर पर दीप प्रज्ज्वलित कर एवं गो माता की पूजा अर्चना अतिथियों की ओर से की गई। शोभायात्रा गड़ीसर प्रोल पर लगाए गए प्रवेश द्वार में से होती हुई बहुरंगी संस्कृति का नजारा पेश कर रही थी। शोभायात्रा में किशनीदेवी मगनीराम मोहता राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक की छात्राओं ने रंग-बिरंगी पोशाक पहने अपने सिर पर मंगल कलश धारण किए चल रही थी। शोभायात्रा में सबसे आगे बास्केट बॉल अकादमी के छात्र पर्यटन विभाग का बैनर लिए हुए चल रहे थे, जिसके पीछे जैसलमेर के राकेश भाट की ओर से बांकिया वादन की प्रस्तुति रही। जोधपुर के राजेन्द्र परिहार ने शानदार शहनाई वादन किया। शोभायात्रा में सीमा सुरक्षा बल के विश्व के आठवें अजूबे कहलाने वाले कैमल माउन्टेन बैंड के बैंड मास्टर इंस्पेक्टर फूलाराम राणा के निर्देशन में बैण्ड पर राजस्थानी गीतों पर मधुर धुनें पेश कर समूचे माहौल को संगीत से सराबोर कर दिया। शोभायात्रा मे रॉयल डेजर्ट कैमल के बांके जवान सजे धजे एवं अपने सिर पर छत्री लिए हुए इतने सुन्दर लग रहे थे कि मेले मे शरीक हुए देसी- विदेशी सैलानियों ने अपने कैमरों मे कैद किया वहीं इसकी वीडियोग्राफी भी यादों को संजोये रखने के लिए की। शोभायात्रा में खाजूवाला के मश्कवादक ओमप्रकाश भील ने भी प्रस्तुति देकर मन मोह लिया।
गैर नृत्य ने करा दी होली की अनुभूति
शोभायात्रा में बालोतरा के उम्मेदाराम एवं उनके दल द्वारा लालआंगी गैर नृत्य प्रस्तुत कर पूरे माहौल को होलीमय कर दिया। बालोतरा के ही हरीश कुमार ने सफेद आंगी गैर नृत्य प्रस्तुत किया। पोकरण के रेंवताराम ने कच्छी घोडी नृत्य पेश कर पूरे उत्सव को खुशनुमा कर दिया, वहीं शोभायात्रा में उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के ख्यातनाम लोक कलाकारों ने कश्मीरी रूप एवं सिद्धी धमाल पेश कर पूरे माहौल को कश्मीरी एवं पंजाबी संस्कृति से रू-ब-रू कराया। शोभायात्रा में पहली बार शामिल हुए जैसलमेर विचार मंच के स्थानीय लोगों ने अपनी सहभागिता दर्ज कराई एवं जैसलमेरी शैली में बृज के रसिये होली के गीत प्रस्तुत कर पूरे माहौल का फाल्गुनी बना दिया। शोभायात्रा में बास्केटबॉल अकादमी के स्वर्ण पदक विजेताओं ने ऊंटों पर बैठकर अपने हाथों में विजेता ट्रॉफी लिए हुए थे, वहीं लोक कलाकारों ने अपने साज बाजे के साथ लोक गीतों को प्रस्तुत कर सम्मोहित किया।
सजे ऊंट, हाथ में तलवार
शोभायात्रा में ऊंटों पर सवार मरुश्री के सजे-धजे प्रतिभागी अपने हाथों में तलवार लिए शोभा बढ़ा रहे थे, वहीं मिस मूमल की प्रतिभागी भी शोभायात्रा में शरीक होकर चार चांद लगा रही थी। शोभायात्रा में मूमल-महेन्द्रा के प्रतिभागी ऊंटों पर बैठे बहुत सुंदर लग रहे थे। यह शोभायात्रा गड़ीसर सरोवर से प्रारंभ होती हुई आसनी रोड, सालमसिंह की हवेली, गोपा चौक, जिन्दानी चौक, गांधी चौक, हनुमान चौराहा होती हुई शहीद पूनमसिंह स्टेडियम पहुँच कर समारोह में परिवर्तित हो गई। लगभग डेढ़ किलोमीटर की यात्रा तय करके पूनम सिंह स्टेडियम पंहुच गई। जहां पर वे मंच के आगे लोक नृत्य करते हुए गुजरें। शोभायात्रा में पारम्परिक वेशभूषा, आंचलिक संस्कृति, लोकजीवन, लोकवाद्यों, गीत-नृत्यों, मूमल-महेन्द्रा झांकियों के समावेश ने यादगार छाप छोड़ी। शोभायात्रा में रंग बिरंगी पोशाकों में स्थानीय लोक कलाकर अपने लोक वाद्यों के माध्यम से राजस्थानी गीतो को प्रस्तुत कर पूरे मार्ग को सांस्कृतिक झलकी से सरोबार सा कर दिया। शोभायात्रा में लालआंगी गैर के लोक कलाकारों ने जगह-जगह पर गैर नृत्य प्रस्तुत किया। बहुुरंगी शोभायात्रा में अच्छी संख्या में विदेशी सैलानी शामिल हुए।
पहले दिन योग की पाठशाला
मरु महोत्सव के अवसर पर पहली बार प्राचीन गडीसर सरोवर पर पंतजलि योग पीठ जैसलमेर द्वारा योग एवं प्राणायाम का आयोजन किया गया। सुबह 7 बजे गड़ीसर सरोवर पर योग एवं प्राणायाम का प्रदर्शन किया। इस दौरान विदेशी पर्यटकों ने भी योग एवं प्राणायाम किया।

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