सरकार कह रही अनार्थिक, जैसलमेर की तो बदल जाएगी किस्मत
-महत्वाकांक्षी रेल परियोजना से चहुंमुखी विकास संभव-पर्यटन और लाइम स्टोन उद्योग को मिलेगा भरपूर लाभ
सरकार कह रही अनार्थिक, जैसलमेर की तो बदल जाएगी किस्मत
जैसलमेर. पांच हजार करोड़ रुपए की जैसलमेर-बाड़मेर-भाभर रेल परियोजना को केंद्र सरकार भले ही अनार्थिक बता कर इससे पल्ला झाडऩे में जुटी होए लेकन सीमावर्ती जैसलमेर के लिए तो यह परियोजना किसी वरदान से कम साबित नहीं होगी। इस रेल परियोजना से जैसलमेर रेल माध्यम से सीधे बाड़मेर और जालोर जिलों के साथ गुजरात से जुड़ जाएगा। जिसका लाभ प्रत्येक जिलावासी को किसी न किसी रूप में मिलना तय है। पिछले एक दशक से Óयादा अवधि से जैसलमेर पड़ोसी गुजरात के पर्यटकों के दम पर निश्चित रूप से खुशहाल हुआ है। जानकारों की मानें तो रेल सम्पर्क स्थापित हो जाए तो यहां गुजराती पर्यटन को नए पंख लगेंगे और जिसकी उड़ान इतनी ऊंची होगी कि फिर पीछे मुड़ कर देखने की जरूरत नहीं बचेगी। इसी तरह से जैसलमेर में लाइम स्टोन के लिए हमीरा से सोनू के लिए रेल लाइन बिछ चुकी है तथा मालगाडिय़ों का संचालन हो रहा है। भाभर तक रेल लाइन जुड़ जाए तो जैसलमेर में सीमेंट सहित अन्य उद्योगों की स्थापना की संभावनाएं भरपूर हो जाएंगी।
दुगुना हो जाएगा पर्यटन
एक आंकलन के मुताबिक जैसलमेर से गुजरात के लिए सीधी रेल लाइन बिछ जाए तो यहां पर्यटन में दोगुना इजाफा होने की संभावना है। रेल लाइन से गुजरात के विभिन्न हिस्सों से लेकर बाड़मेर व जालोर से आवाजाही का सुगम मार्ग तैयार हो जाएगा। इसके अलावा जैसलमेर से बड़ी तादाद में लोग गुजरात के विभिन्न शहरों में उपचार करवाने पहुंचते हैं। उनके लिए वर्तमान में मुख्य तौर पर सड़क मार्ग का विकल्प है। रेल लाइन का सपना साकार हो जाए तो बीमारों को बहुत बड़ी सुविधा मिल सकेगी।
कभी हांए कभी ना
वैसे इस प्रोजेक्ट के लिए केंद्र की ओर से कभी हां तो कभी ना वाली स्थिति रही है। जैसलमेर-बाड़मेर-भाभर रेल लाइन का सर्वे कार्य धूमधाम से करवाया गया था। इसके बाद 2015 के रेल बजट में रेलवे ने इससे हाथ खींच लिए। उसका कहना था कि उसके पास लंबित परियोजनाओं की पहले से ही लंबी सूची है, इसलिए इस पर विचार नहीं किया जा सकता। रेलवे ने इसे अनार्थिक भी करार दिया। हाल में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने इस प्रोजेक्ट के लिए पैरवी की तो यह विषय पुन: चर्चा में आया है। गौरतलब रहे कि इस प्रोजेक्ट में पांच हजार करोड़ रुपए के बजट की घोषणा कर नई रेल लाइन बिछाया जाना प्रस्तावित था। हालांकि पश्चिमी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर इस परियोजना को सैन्य सुविधा की दृष्टि से रणनीतिक आधारों पर शुरू भी किया जा सकता है।
&1 नए रेलवे स्टेशन बनेंगे
परियोजना के तहत जैसलमेर से बाड़मेर के बीच में और और बाड़मेर से भाभर के बीच 2& रेलवे स्टेशन है। कुल &1 रेलवे स्टेशन बनेंगे। इसमें जैसलमेर, भाखरानी एच, सांगड़, गूंगा, शिव, निंबला, बाड़मेर, महाबार, उंडखा, अराबा का तला, सनावड़ा, बाछड़ाऊ, दूदवा, दूदू, धोरीमन्ना, भाउड़ा, माणकी, सिंछावा, पादरड़ी, भादरून, सरवाना, कसवी, रतनपुरा, भोरोल, भाचर, थराद रोड जंक्शन, मोरीखा, सनसेड़ा, कुवाला, भाभर आदि रेलवे स्टेशन होंगे।
तीन सर्वे अब तक
जैसलमेर से कांडला तक नई रेल लाइन के लिए उत्तर.पश्चिम रेलवे की ओर से तीन सर्वे किए गए। इनमें जैसलमेर-बाड़मेर, बाड़मेर-भाभर, थराद- रोड-बनासरा शामिल हैं। जैसलमेर-बाड़मेर तक 145 किमी, 517 करोड़ लागत, बाड़मेर-भाभर तक 19&.84 किमी, 798 करोड़ लागत, इसी तरह थराद रोड.बनासरा तक 80.75 किमी, &70 करोड़ लागत का अनुमान लगाया गया। यह सर्वे वर्ष 2012.1& में किए गए।
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