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जैसलमेर

स्वर्णनगरी में न आतिशबाजी होगी, न होगा धूम-धड़ाका

-पहली बार बिना पटाखों के मनेगी दिवाली-जिला प्रशासन ने आतिशबाजी पर लगाया प्रतिबंध-पाबंदी की पालना करवाने की चुनौती

जैसलमेरOct 23, 2020 / 08:20 pm

Deepak Vyas

स्वर्णनगरी में न आतिशबाजी होगी, न होगा धूम-धड़ाका

स्वर्णनगरी में न आतिशबाजी होगी, न होगा धूम-धड़ाका


जैसलमेर. स्वर्णनगरी सहित मरुस्थलीय जैसलमेर जिले में इस बार धूम-धड़ाके वाला पर्व दिवाली पहली बार बिना आतिशबाजी के ही मनाना होगा। जिला प्रशासन ने इस बार जिले में आतिशबाजी पर प्रतिबंध लगा दिया है। राज्य सरकार को प्रशासन ने इस आशय की सिफारिश भेजी है। सरकारी स्तर पर पटाखे बेचने और चलाने पर पाबंदी लगा दी गई है। यह कवायद कोरोना संक्रमण के हालात को काबू में रखने तथा जन स्वास्थ्य के अहम मसले को ध्यान में रखकर की जा रही है। कोरोना के मद्देनजर जिला प्रशासन ने पहले ही दशहरा पर जैसलमेर में रावणए कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों के दहन पर रोक लगा रखी है।
बिकते हैं करोड़ों के पटाखे
जैसलमेर मुख्यालय पर प्रतिवर्ष करीब दो से ढाई करोड़ रुपए तक के पटाखे और अन्य आतिशबाजी की बिक्री होती है। इसके लिए डेडानसर मैदान में दिवाली से चंद दिन पहले अस्थायी दुकानें लगती हैं। करीब डेढ़ सौ दुकानें प्रशासन व नगरपरिषद की अनुमति से वहां स्थापित की जाती हैं। दुकानदार बीकानेर, जोधपुर, अहमदाबाद, जयपुर, शिवाकाशी आदि से पटाखे लाकर बेचते हैं। जिले भर में यह रकम करीब पांच करोड़ तक होने का अंदाजा है। जानकारी के अनुसार जैसलमेर में आतिशबाजी बेचने का स्थायी लाइसेंस अब किसी के पास नहीं है। ऐसे में जिला प्रशासन ने साफ किया है कि जो भी आतिशबाजी बेची जाएगी, वह अवैध होगी। इसकी रोकथाम के लिए प्रशासन हरसंभव उपाय करने की तैयारी में है।
कोरोना काल में लिया निर्णय
चिकित्सकों के अनुसार आतिशबाजी से उठने वाला धुआं स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। मौजूदा कोरोना संक्रमण के मद्देनजर यह और भी खतरनाक है। इससे फेफड़ों के संक्रमण की शिकायत वाले लोगों को सांस लेने में बड़ी तकलीफ आ सकती है। उनके अनुसार आतिशबाजी का धुआं वातावरण में एक परत का निर्माण करता है, जिससे संबंधित क्षेत्र में ऑक्सीजन का स्तर गिर जाता है। यह स्थिति कोरोना संक्रमितों के लिए ही नहीं, नेगेटिव हो चुके मरीजों के लिए भी नुकसानदायक हो सकती है। जानकारों का यहां तक कहना है कि पटाखों के धुएं से कोरोना महामारी विस्फोटक रूप ले सकती है। गौरतलब है कि प्रदूषण से कोरोना का खतरा बढ़ जाता है। पटाखों के विस्फोट से होने वाला प्रदूषण खासकर सांस के मरीजों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है। इससे सीओपीडी व अस्थमा के मरीज बढ़ सकते हैं। कोरोना से स्वस्थ होने वाले कई मरीजों में अस्पताल से लौटने के एक माह बाद भी फेफड़ों का संक्रमण सामने आ चुका है।
जन स्वास्थ्य के मद्देनजर फैसला
जैसलमेर में आतिशबाजी पर प्रतिबंध का फैसला जन स्वास्थ्य के लिहाज से लिया गया है। अभी कोरोना काल चल रहा है, ऐसे में पटाखों से होने वाला प्रदूषण लोगों की स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां बढ़ा सकता है।
. आशीष मोदी, जिला कलक्टर, जैसलमेर

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