भारत-पाकिस्तान सीमा पर ग्रामीणों को भरोसा कि मां करेगी मुसीबत में रक्षा !
-कंधे से कंधा मिलाकर कर रहे सहयोग
भारत-पाकिस्तान सीमा पर ग्रामीणों को भरोसा कि मां करेगी मुसीबत में रक्षा !
रामगढ़. भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसा यह कस्बा और इसके चारों तरफ बहुत बड़ा नहरी क्षेत्र बड़ी पहचान रखता है। अभी कोरोना संक्रमण के चलते सरकार की एडवाइजरी का कस्बावासी पालना करने की पूरी चेष्टा कर रहे हैं। गांव के बुजुर्गों का कहना है कि ऐसी महामारी पहले भी आ चुकी है। जिसे 56वां काल कहा जाता है। उस समय बहुत लोग व पशुधन काल के गाल में समा गए थे, लेकिन उन्होंने तब भी हौसला नहीं खोया था। यही हौसला इस बार भी कायम है। जहां तक लॉकडाउन के दौरान जनजीवन में आए बदलाव की बात है, भुला दिए गए खेल फिर से याद आ गए हैं। बच्चे दिनभर टीवी देखकर ऊब-से गए हैं और लूडो, सांप-सीढ़ी, सिंह बकरी और सतोलिया जैसे खेल से समय व्यतीत कर रहे हैं।
मां पर है पूरा भरोसा
रामगढ़ कस्बे तथा आसपास के नहरी क्षेत्र की पूर्ण आस्था चमत्कारिक तनोटराय देवी पर बहुत ज्यादा दिखाई दे रही है। बुजुर्गों का कहना है कि वर्ष 1965 व 1971 के युद्धों में देवी ने ही रामगढ़वासियों का बाल भी बांका नहीं होने दिया था। वही इस बीमारी में भी रक्षा करेगी। उनका कहना है कि वे तो तनोटराय के चरणों में हैं और सरकार के दिशा निर्देशों की पालना कर रहे हंै। रोज कमा कर खाने वालों को अवश्य दिक्कत हो रही है, लेकिन सरकार द्वारा दी जा रही सहायता से मजदूर वर्ग संतुष्ट है।
भामाशाहों का भरपूर सहयोग
कस्बे के नहरी क्षेत्र में आए प्रवासी श्रमिकों तथा रामगढ़ के गरीब लोगों को भामाशाहों का भरपूर सहयोग मिल रहा है। उनके लिए भोजन-पानी तथा रहने की व्यवस्था भी भामाशाहों की ओर से की गई है। प्रवासी श्रमिकों का कहना है कि उन्हें कोई तकलीफ नहीं है। नहरी क्षेत्र में भी आज से कम से कम 25 वर्ष पहले जो लाह की प्रथा चलती थी वह वापस लौट आई दिखती है। खेतों में किसान एक-दूसरे को मदद करवा रहे हैं। चाहे फसल कटाई हो, कढाई या अनाज को साफ कर मंडी तक पहुंचाने, सभी कार्यों में परस्पर सहयोग से इस चुनौतीपूर्ण समय का सामना किया जा रहा है।
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