लुभावने दावे नहीं कर सकेंगी कम्पनियां
नमक के मानक निर्धारित न होने के कारण उत्तर प्रदेश की कम्पनियां अपने मुताबिक नमक के मानक तय करती हैं जिससे आम जनता पर काफी असर देखने को मिलता है लेकिन एफएसएसएआई के इस फैसले से आम जनता को राहत मिलेगी और जो कम्पनियां नमक के मानक अपने अनुसार तय करती रही है उन पर लगाम लगेगी। जिससे कंपनियां भी अब लुभावने दावे नहीं कर सकेंगी। पहले कम्पनियों ने दावा किया था कि ढेले वाला नमक शुद्ध नहीं होता है लेकिन ऐसा नहीं है वास्तव में माना जाए तो ढेले वाला नमक ही सबसे शुद्ध पाया जाता है।
एक लीटर समुद्री जल में होता है 35 ग्राम सॉलिड
एनबीआरआई के फार्माकोग्नोसी डिवीजन के प्रमुख डॉ. शरद श्रीवास्तव कहना है कि नमक सोडियम क्लोराइड से तैयार किया जाता है। इसका प्रमुख स्रोत समुद्र है। एक लीटर समुद्री जल में लगभग 35 ग्राम सॉलिड होता है जिसमें 3.5 फीसद लवणता या सेलिनिटी पाई जाती है। ढेले वाला पारंपरिक नमक सबसे शुद्ध माना जाता है हालांकि देश में ग्वाइटर (घेंघे) की समस्या पर अंकुश लगाने के लिए इसमें आयोडीन मिलाया गया और तभी से आयोडाइज्ड नमक का चलन चलता आ रहा है। विभिन्न ब्रांड में आयोडीन की मात्रा अलग-अलग होती है। वह कहते हैं कि यह भ्रम है कि ढेले वाला नमक शुद्ध नहीं होता। यह नमक सेहत के लिए पूरी तरह से फायदेमंद होता है।
सोडियम क्लोराइड से तैयार होता है नमक
सीएसआईआर द्वारा नमक के मानक तैयार करने के लिए जो विजन डॉक्यूमेंट तैयार किए गए हैं, उसमें सोडियम क्लोराइड के साथ-साथ कैल्शियम, मैग्नीशियम, सल्फेट, आयोडीन, आयरन, कॉपर, लेड आदि की मात्रा भी निर्धारित की गई है। देशभर में जल्द ही एफएसएसएआइ नए मानक जारी कर सकता है। जिससे जल्द ही लोगों को नमक नए मानक के आधार पर मिल सके। आयोडाइज्ड नमक के अलावा पिंक सॉल्ट, ब्लैक सॉल्ट, हैलाइट साल्ट, हवाइन रेड सॉल्ट, ब्लैक लावा सॉल्ट आदि का भी प्रयोग किया जाता हैं। वह बताते हैं कि काला नमक हाइड्रोजन सल्फाइड से प्रोसेस करके तैयार किया जाता है। ब्लैक साल्ट को सिंथेटिक सॉल्ट भी कहा जाता हैं।