जिले के ग्राम भेंड़ में नई नई फसलों की प्रयोगशाला है। यहां के प्रगतिशील किसान सबसे पहले किसी भी फसल की नई प्रजाति का प्रयोग सबसे पहले करने में सिद्धहस्त हैं। इसके बाद उनकी देखादेखी तहसील या जिले के अन्य किसान उसे अपना कर आमदनी बढ़ाने का काम करते हैं। इस गांव को प्याज का हब माना जाता है। आपको बता दें कि जिले में अधिकांश किसानों की रुचि प्याज की खेती करने में रहती है क्योंकि वे इसे नकदी फसल मानते हैं। बुधवार को हुई मूसलाधार बारिश और तेज हवाओं ने गांव के तमाम किसानों की प्याज की फसल को बुरी तरह बर्बाद कर के रख दिया है। किसानों ने बताया कि यकायक तेज हवाएं व तेज बारिश से पूरे खेत भर गए हैं जिससे प्याज की फसल बुरी तरह प्रभावित ही गयी है।
पानी भरे रहने से खराब हो सकती है फसल किसान जितेन्द्र कुशवाहा, केशव सिंह, महेश चन्द्र भूरे, देवसिंह आदि ने बताया कि खेतों में पानी भरा हुआ है, बची हुई फसल में पानी भरे रहने से सड़ जाएगी। यहां पर कोई दस बीघा, कोई 5 बीघा तो कोई इससे भी ज्यादा रकबे में प्याज बोए हुआ था। एक बीघे में लगभग एक सौ बोरी के औसत से प्याज की पैदावार होती है और एक बोरी प्याज की कीमत नौ सौ से लेकर ग्यारह सौ रुपए तक होती है। इस लिहाज से अगर देखा जाए तो किसानों को लंबा नुकसान हुआ है। किसानों ने प्रशासन से मांग की है कि उनकी फसल के नुकसान का सर्वे करा कर मुआवजा दिलाया जाए।