कारागार मंत्री का काफिला जिस खेत में खड़ा हुआ, उस खेत में सरसों की बुवाई हो रखी थी। यह खेत दलित किसान देवेंद्र दोहरे का है, जिसने कर्ज लेकर फसल बोई थी। उसको जब अपनी फसल बर्बाद होने की जानकारी मिली तो वह भागता हुआ वहां पहुंचा और मंत्री के चरणों में गिर पड़ा। जब मंत्री ने अपने पैरों पर उस किसान को देखा तो मंत्री के साथ मौजूद लोगों ने उसे उठाया और उसकी समस्या को सुनने का प्रयास किया। जब उसने अपनी फसल नष्ट होने की बात बताई तो मंत्री जी अपने आगे के कार्यक्रम में लग गये। जब मीडिया में यह मामला आया तो मंत्री ने उसे अपने पास बैठा लिया और उसे मुआवजा देने की बात कही।
गौशाला के शिलान्यास का कार्यक्रम समाप्त होने के बाद कारागार मंत्री जय कुमार जैकी ने नुकसान के तौर पर 4 हजार रुपये का मुआवजा देकर इससे पल्ला झाड़ा। किसान देवेंद्र ने बताया कि उसने कर्ज लेकर अपनी तीन बीघा की फसल में सरसों बोई थी, जिसे मंत्री और सरकारी अधिकारियों की गाड़ियों ने खराब कर दिया है। किसान का कहना है कि बड़ी मेहनत करने पर उसने फसल बोई थी और उसकी फसल को मंत्री जी की गाड़ियों ने खराब कर दिया। किसानों का कहना है कि तीन बीघे में फसल की बुआई में किसान का 7 से 8 आठ रुपया का कुल खर्च आया होगा।
कारागार मंत्री जय कुमार सिंह जैकी ने सफाई देते हुये कहा कि सरकार किसानों के दर्द को समझती है और जिस किसान की फसल बर्बाद हुई है उसे मुआवजा भी दे दिया गया है। लेकिन जब पत्रकारों ने उनसे ये पूछा कि कितना मुआवजा दिया तो मंत्री ने बताया कि जितनी उसकी फसल खराब हुयी है उस हिसाब से उसे 4 हजार रुपये मुआवजा दे दिया गया है।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बलराम लंबरदार ने कहा कि मंत्री को ऐसा नहीं करना चाहिए था। चूंकि फसल अभी बोई ही गई थी, इसलिए मुआवजे का चार हजार रुपया सही है। क्योंकि फसल पूरी तरह चौपट नहीं हुई होगी।