ऐसे हो रहा है कार्य नियमानुसार 6.5 किलोमीटर की सडक़ की मोटाई 245 एमएम की होनी है। इसमें 20 एमएम. डामर चढ़ाना शामिल था। मौके पर देखा तो मिट्टी कुछेक कंकरीट पर डामर चढ़ा दिया। नीचे मिट्टी और घटिया निर्माण सामग्री पर ही 20 एमएम डामर चढ़ा दिया गया है। पूरी तरह से जांच की जाए तो सडक़ की मोटाई आधी भी नहीं है।ण्
जिम्मेदारों का गोलमाल जवाब… सार्वजनिक निर्माण विभाग के सहायक अभियंता कैलाश कुमार ने बताया कि सडक़ का निर्माण कार्य नियमानुसार ही चल रहा है। नियमानुसार डामर 20 एमएम होना चाहिए वो चढ़ रहा है। ग्रामीण बता रहे है कि सडक़ पर सिर्फ 20 एमएम डामर ही है। नीचे तो मिट्टी का घटिया निर्माण सामग्री है। हमने डामर की परत को हाथ से उठाया है, यह तो नीचे चिपक भी नहीं पाया है।
इनका कहना करीब 15 साल बाद यह कार्य स्वीकृत हुआ था। यह बालोतरा जिले की सीमान्त सम्पर्क सडक़ भी है। ठेकेदार एवं अधिकारियों की मिलीभगत से गुणवत्ताहीन निर्माण हो रहा है। ठेकेदार रेत पर ही सीधा डामरीकरण कर रहा है। डामर नीचे का मटेरियल डाला ही नहीं गया है। ऐसे यह सडक़ हाथ से उखाडऩे पर ही उखड़ जाती है।- जगराम जाट, ग्रामीण सिराणा