तेज धूप में गायें यहां बने शेड में लगे कूलर के सामने विश्राम करती नजर आती हैं। इसी तरह 6 पंखे भी लगाए गए हैं। गोवंश की सेवा का कार्य जनसहयोग से ही किया जा रहा है। लंपी महामारी में गोवंश की मौतों के सिलसिले के दौरान इस संगठन ने बिशनगढ़ रोड पर गोवंश रेस्क्यू सेंटर की शुरुआत की। यह सेवा केंद्र लंपी महामारी के दौरान सुचारू रहा। अब इसे गोल निंबड़ी से लेटा जीएसएस बाइपास पर संचालित किया जा रहा है। वर्तमान में डायाराम माली ने संस्थान के लिए जमीन मुहैया होने तक गोसेवा के लिए अपनी जमीन गऊ रक्षा सेवा संस्थान को सेवा कार्य के लिए समर्पित कर रखी है।
‘गोवंश की सेवा का कार्य संगठन की ओर से लंपी महामारी के दौरान शुरू किया गया था। सेवा कार्य में काफी लोगों से रुचि दिखाई, जिसके बाद एक बड़ा समूह सेवा कार्य के लिए जुटा हुआ है।’ – छगनलाल, अध्यक्ष, गऊ रक्षा सेवा संस्थान
सोलर ऊर्जा से चल रहे कूलर, पंखे
यहां गोवंश की सेवा के लिए पूरा सिस्टम प्रकृति आधारित और जन सेवा की भावना पर निर्भर है। पंखे, कूलर और रात में रोशन की व्यवस्था के लिए 6 केवी का सोलर लगा है। इधर, गोवंश के लिए चारे और पानी का प्रबंध गोसेवक और आमजन कर रहे हैं। सचिव अजाराम के अनुसार इस कार्य में जिले के अलग-अलग हिस्से से करीब 250 युवा जुटे हैं, जो नि:शुल्क सेवा दे रहे हैं। गोसेवक इन गोवंश के लिए चारे, पानी और अन्य जरूरतों के लिए अपने स्तर पर और सामूहिक स्तर पर प्रयास कर रहे हैं।