उन्होंने इस संबंध में अपने साथियों से चर्चा किया। उनके दो साथी इस काम में साथ देने लगे और कुछ देर की सफाई के बाद जगह बैठने लायक बन गया। इसके बाद से उनके मन में आया कि इस कार्य को वे नियमित करें, फिर क्या था, दूसरे दिन से तीनों झाडू व रांपा लेकर निकल पड़े। लोगों को पता चलता गया और कारवां बढ़ता गया। मुक्तिधाम को गंदगी मुक्त करने के बाद सभी ने मिलकर नदी तट की सफाई का जिम्मा उठाया। वहां घाट पर गंदगी के चलते लोगों का नहाना भी दुश्कर हो गया था।
#Topic Of The Day- बालिकाओं के शिक्षा ग्रहण करने के कारण ही महिलाएं आज हो रहीं सशक्त : दुबे इसको लेकर उन्होंने वहां के लोगों को जागरूक किया, कि वे नदी घाट में गंदगी ना फैलाएं। करीब एक माह के लगातार सफाई अभियान के बाद नदी तट लोगों के उपयोग लायक बनाया गया। नदी तट स्थित हनुमानजी के
मंदिर में लोग पहले जाने में हिचकते थे, वहां अब लोग भंडारे का आयोजन करते हैं।
इन कार्यों में मिली सफलता ने उनका हौसला बढ़ाया और वे लगातार मुस्लिम समाज व क्रिश्चियन समाज के मुक्तिधाम में सफाई अभियान चलाया। इस कार्य में उनके साथ 50 से भी अधिक लोग जुड़ गए। उन्होंने चांपा सेवा संस्थान के नाम से समिति का पंजीयन कराया और अपना दायरा बढ़ाने लगे। चांपा नगर के साथ आसपास के गांवों में भी वे सफाई को लेकर जागरूकता अभियान चलाने के साथ स्वयं सफाई करने लगे। इसके फलस्वरूप ग्रामीण भी सफाई को लेकर आगे आए और आज 50 से भी अधिक गांवों में सेवा संस्थान का गठन कर गांवों को साफ रखने लोगों को संकल्पित किया। जिले के साथ चांपा सेवा संस्थान का कार्य अन्य जिला मुख्यालयों में भी जारी है, जिसके असर से वहां के लोगों ने भी स्वच्छता का बीड़ा उठाया है।
शर्मा का मानना है कि सफाई के लिए सभी को आगे आना होगा। केवल सरकारी संस्थानों के भरोसे गांव व नगर को साफ नहीं रखा जा सकता। वे अपनी टीम के साथ प्रतिदिन सुबह दो घंटे सफाई करते हैं और सभी से आग्रह किया है कि अपने घर के अलावा आसपास सफाई करने सहयोग प्रदान करें।
बनारस में भी चलाया अभियान
चांपा सेवा संस्थान के लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्वाचन क्षेत्र बनारस में भी सफाई अभियान चलाया है। शर्मा बताते हैं कि तत्कालिन कमिश्नर सोनमणी बोरा व कलेक्टर ओपी चौधरी के सहयोग से उनके संस्थान के 55 लोगोंं की टीम बनारस पहुंची। इस दौरान रास्ते में पडऩे वाले नगरों में भी उन्होंने जागरूकता अभियान चलाया। बनारस पहुंचने पर वहां के 84 घाटों में से चार घाट में प्रतिदिन तीन घंटे सुबह व तीन घंटे शाम सफाई अभियान चलाकर घाट को स्वच्छ बनाया। इस कार्य के दौरान दिव्यांग गोपाला देवांगन उनके साथ कंधे से कंधा मिलकर काम करते रहे और सभी का दिल जीत लिया। बनारस के कार्य के लिए उनकी संस्थान को प्रधानमंत्री कार्यालय से प्रशस्ति प्रत्र भी जारी हुआ है।