जैजैपुर के रहने वाले आशुतोष शर्मा ने बताया कि वे अपनी गर्भवती पत्नी संध्या शर्मा को लेकर 12 मार्च को सुबह जिला अस्पताल आए थे। दोपहर एक बजे के करीब सिजेरियन ऑपरेशन से उन्हें बेटा हुआ। ऑपरेशन गाइनोलॉजिस्ट डॉ. सप्तर्शी चक्रवती ने किया जिन्होंने बताया कि बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ है। बाद में मां का दूध नहींं आने पर बच्चे को कृत्रिम रूप से स्तनपान कराने जिला अस्पताल के ऊपरी तल में बने एसएनसीयू वार्ड में रात करीब 8 बजे भर्ती कराया गया। अगले दिन 13 मार्च को सुबह 9 बजे वे बच्चे को देखने वार्ड में गए तो वहां पदस्थ डॉक्टर संगीता देवांगन ने बच्चे की हालत स्वस्थ्य बताया। अगले दिन 14 मार्च को भी डॉ. देवांगन ने बच्चे की हालत स्वस्थ्य बताया गया। रात में 8 बजे स्टाफ से भी पूछने पर उन्होंने बच्चे की तबीयत सही बताई थी लेकिन 15 मार्च सुबह जब वे वार्ड में पहुंचे तो अचानक उन्हें बच्चे की मौत होने की सूचना मिली।
चुनाव के मद्देनजर पुलिस ने शस्त्रधारियों को शस्त्र जमा करने दिया अल्टीमेटम बच्चे को देखने तक जाने नहीं देते थे
बच्चे के पिता आशुतोष ने बताया कि वे और उसकी दादी हमेशा वहां पर रहते थी, लेकिन एक बार भी न तो डॉक्टर देवांगन और न ही स्टाफ नर्सों ने उन्हें कभी भी नहीं बताया कि बच्चे की हालत बिगड़ रही है। मैंने खुद जाकर भी पूछा था कि कहीं तबीयत ज्यादा तो नहीं बिगड़ रही। ऐसा है तो हम दूसरी जगह जाकर इलाज करा लेंगे, लेकिन बच्चा स्वस्थ रहने की जानकारी दी गई। बच्चे को मुझे देखने तक नहीं दे रहे थे। वार्ड में पुरुषों का जाना प्रतिबंध है कहकर अंदर जाना ही नहीं दिया। बच्चे के पिता ने बताया कि परिवारवालों और उनकी पत्नी को भारी मानसिक पीड़ा से गुजरना पड़ रहा है। उनका बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ्य था लेकिन इलाज में की गई लापरवाही की वजह से उसकी जान चली गई। मामले की शिकायत सिविल सर्जन से कर दोषी डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
सीएमएचओ का भी फोन नहीं उठाया
इस मामले में जब पत्रिका के रिपोर्टर ने सिविल सर्जन बीपी कुर्रे से जानकारी चाही तो उसने बताया कि डॉण् संगीता देवांगन को उन्होंने कॉल किया हैं लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया। जाहिर है इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि डॉक्टर्स अपने अधिकारी का फोन नहीं उठाते तो अपने अधिनस्थ कर्मचारी से फोन कैसे उठाते होंगे।
बच्चे के पिता आशुतोष शर्मा ने बताया कि 14 मार्च की रात ही बच्चे की हालत बिगड़ गई थी। रात में इसकी जानकारी भी स्टाफ नर्सों ने डॉण् देवांगन को देने उनके मोबाइल पर कॉल भी किया था मगर उन्होंने एक बार भी कॉल रिसीव नहीं किया और न ही खुद से फोन कर बच्चे का हालचाल जाना। जबकि नियमानुसार यहां 24 घंटे डॉक्टरों की मौजूदगी होनी चाहिए। डॉक्टर की इस लापरवाही के चलते समय पर उसके बच्चे का इलाज नहीं हुआ।
-बच्चा जिस दिन एडमिट हुआ था उस समय ही कमजोर था। यह बात हमने परिजन से लिखवाकर भी लिया है। बच्चे की जांच सैंपल रायपुर भी भेजे थे। रेफर की जरूरत नहीं थी क्योंकि एसएनसीय में इलाज की पूरी सुविधा है। बच्चे की मौत ब्ल्ड इन्फेक्शन की वजह से हुई है। परिजन इलाज में लापरवाह की जो बात कह रहे हैं, वो गलत है- डॉ. संगीता देवांगन, शिशु रोग चिकित्सक एसएनसीयू
-एसएनसीयू में एक नवजात की मौत हो जाने की जानकारी मिली है। बच्चे की मौत कैसे हुई है इस बात की जानकारी ली जा रही है। एसएनसीयू में 24 घंटे डॉक्टरों और स्टाफ नर्सों का रहना हैं। इस मामले में क्या हुआ, इस संबंध में डॉ. देवांगन से सारी जानकारी मांगी गई है। लापरवाही हुई है तो कार्रवाई होगी – डॉ. बीपी कुर्रे, सिविल सर्जन जिला अस्पताल